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Yuvraj Singh: प्रेशर बैटिंग का नहीं पास का था, जानिये खिलाड़ियों के होटल के किस्से

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टीम इंडिया के खिलाड़ी रहे युवराज सिंह। (फोटो- फेसबुक)

Yuvraj Singh: खिलाड़ियों की जिंदगी भी अजब-गजब होती है। उनके ऊपर करोड़ों रुपये खर्च किए जाते हैं। इसलिए खिलाड़ियों पर तमाम तरह के प्रेशर भी होतें हैं। खेल में अच्छा खेलने और जीतने के प्रेशर के अलावा कई तरह के दूसरे प्रेशर होते हैं, जो उन्हें झेलने होते हैं। मसलन फैंस का प्रेशर, मिलने-जुलने वालों का प्रेशर, परिचितों का प्रेशर आदि, लेकिन एक प्रेशर पास का भी होता है।

खिलाड़ियों को जो पास मिलता है, उसको पाने के लिए उनसे हर कोई रिक्वेस्ट करता रहता है। कई बार जहां वह रहते हैं, होटल या घर में, वहीं के लोग उनसे मैच देखने और ड्रेसिंग रूम के पास ही बैठने के लिए पास देने को कहते हैं। खिलाड़ियों को कुछ लिमिटेड पास ही मिलते हैं, लेकिन मांगने वाले अनलिमिटेड होते हैं।

अश्विन ने एक मजेदार किस्सा सुनाया। मैच से पहले युवराज सिंह ने कहा- ऐश डू यू हैव एनीवन इन चंडीगढ़ दैट यू नो? मुझे लगा कि वह मुझे डिनर के लिए बुला रहे हैं। क्योंकि हमे वहां कोई जानता नहीं था। मुझे लगा कि वह कह रहे हैं कि डिनर करने मेरे पास आ जाओ। या वहां एक रेस्टोरेंट है। मैंने कहा- नहीं-नहीं। उन्होंने कहा- तो टिकट दे दे यार। वीरू भाई कहते थे- वो तीन टिकट दे दे यार।

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विरेंदर सहवाग ने कहा कि हर कोई जो रूम में आ रहा था, वह पास जरूर मांग रहा था। सर वर्ल्ड कप का सेमी फाइनल मैच, क्वार्टर फाइनल मैच है, फाइनल मैच है। हमें एक पास मिल जाएगा, दो पास मिल जाएंगे। आप कल्पना करो कि उसकी क्या अहमियत है। प्रेशर बैटिंग का नहीं था, पास का था।

आर. अश्विन ने कहा कि जब हम टीम बस में चढ़े और अंदर की ओर सीट पर जाने लगे तो सब लोग कह रहे थे तेरा कोई यहां है, मैंने कहा नहीं तो वे बोले- पास दे दो न।

जहीर खान ने कहा- विरेंदर सहवाग को वर्ल्ड कप में सब से ज्यादा टेंशन यह नहीं था कि बैटिंग में किसे फेस करना है, डेल्स टीन कैसी बालिंग करेगा, सहवाग ने कहा कि इतने सालों से खेलते आ रहे हैं, पता है कि डेल स्टीन (Dale Steyn) को कैसे हैंडल करना है, मार्ने मारकल (Morne Morkel) या दूसरों को, लेकिन इतने सालों से टिकट नहीं मिल रहे हैं। मौका यही था कि मौके पर चौका मारो कि हम वर्ल्ड कप नहीं खेलेंगे यदि हमें टिकट नहीं मिलेगा।

जहीर खान ने कहा कि वीरू पास लेने की बात कर रहे हैं। अब बारी आती है कि पासों को डिस्ट्रीब्यूट करने होते हैं। और वह भी एक अलग तरह की टेंशन होती है कि किसको पास में बैठाना है और किसको दूर बैठाना है। मुझे लगता है कि आशीष नेहरा ने वहां पर मुझे बहुत हेल्प की।

उन्होंने कहा कि सेमीफाइनल में नेहरा इंज्योर्ड हो गये तो वह फाइनल खेल नहीं पाए। वह सारा टेंशन अपने जिम्मे ले लिया। उन्होंने कहा कि तुम लोग पास डिस्ट्रीब्यूट नहीं करोगो। मैं सब कुछ देखूंगा। और उन्होंने एक प्रापर सिस्टम बनाया कि पास डिस्ट्रीब्यूट कैसे होंगे, तुम लोग केवल मैच पर फोकस करो। इंज्योर्ड होने के बाद भी उनका बहुत बड़ा कंट्रीब्यूशन था।

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