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Yashasvi Jaiswal: बचपन में यशस्‍वी जायसवाल ने कई बार देखी बॉलीवुड की यह फ‍िल्‍म, जान‍िए क्‍यों

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Yashasvi Jaiswal struggle And Cricket: क्रिकेटर यशस्वी जायसवाल। (फोटो- फेसबुक)

क्र‍िकेटर यशस्‍वी जायसवाल (Yashasvi Jaiswal) ने जब मुंबई के वानखेड़े स्‍टेड‍ियम में क्र‍िकेट खेला और खास कर उस मैदान में शतक बनाया तो बचपन की कई यादों का समंदर उनके द‍िल-ओ-द‍िमाग में ह‍िलोरें मारने लगा था। असल में एक वक्‍त था जब रात को वह और उनका रूममेट अक्‍सर वानखेड़े चले जाते थे और पेड़ पर चढ़ कर मैच देखा करते थे। दूध‍िया रोशनी में नहाए वानखेड़े स्‍टेड‍ियम में क्र‍िकेट देखने का आनंद लेते हुए उनके द‍िल में यह ख्‍याल हमेशा आता था क‍ि एक द‍िन इस ग्राउंड पर वह जरूर खेलेंगे। यह ख्‍वाब हमेशा ज‍िंदा रहा। इसील‍िए, जब यह पूरा हुआ तो उन्‍हें काफी भावुक कर गया।

उत्‍तर प्रदेश में भदोही के रहने वाले यशस्‍वी जायसवाल जब मुंबई गए तो आजाद मैदान में तंबू गाड़ कर रहते थे और क्र‍िकेट में मौका म‍िलने से पहले पानी पूरी भी बेचा करते थे। 2023 के आईपीएल सीजन में जायसवाल ने धमाल मचा द‍िया। केवल 13 गेंद में 50 रन ठोंक द‍िए। कुल म‍िला कर आईपीएल में बढ़‍िया प्रदर्शन का नजीता उन्‍हें तुरंत म‍िला और जून महीने में वेस्‍ट इंडीज दौरे के ल‍िए चुनी गई टीम में उनका नाम आ गया।

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जायसवाल मुंबई में संघर्ष के द‍िनों में क्र‍िकेट मैच देखने के लिए कुछ भी कर गुजरने को तैयार थे। उन्‍हें फ‍िल्‍में देखना भी पसंद है। हॉलीवुड अदाकारा केट व‍िंस्‍लेट की एक्‍ट‍िंग उन्‍हें खूब भाती है। टाइटैन‍िक (1997) फ‍िल्‍म का मशहूर गाना भी वह अक्‍सर गुनगुनाते हैं। इस गाने की एक लाइन (एवरी नाइट इन माई ड्रीम्‍स) उन्‍हें खास कर पसंद है। वह कहते हैं जब भी उन्‍हें ज‍िंदगी में कुछ हासिल करना होता है, इस लाइन के बारे में सोचते हैं।

बॉलीवुड की फ‍िल्‍म इकबाल (2005) का गाना ‘आशाएं…’ भी यशस्‍वी का पसंदीदा है। बचपन में वह अक्‍सर यह फ‍िल्‍म देखा करते थे। उनका कहना है क‍ि यह फ‍िल्‍म उन्‍हें बेहद पसंद है, क्‍योंक‍ि इसमें द‍िखाया गया है क‍ि अगर आप अपनी काब‍िल‍ियत पर भरोसा कर लो तो कुछ भी हास‍िल करना नामुमक‍िन नहीं होता।

मुंबई में कभी टेंट में रहने वाले यशस्‍वी की चाहत है इस शहर में अपना एक घर हो। वह अभी भी क‍िराये के मकान में रहते हैं। लेक‍िन, उन्‍हें एक ऐसे घर की तलाश है जहां पर‍िवार के साथ आराम से रह सकें।

यशस्‍वी अपने संघर्ष के द‍िनों को हमेशा याद रखते हैं और रखना चाहते हैं। उनका मानना है क‍ि इससे उन्‍हें ह‍िम्‍मत म‍िलती है।

वह जब अकेले होते हैं तो खुद से बातें करते हैं। एक बार कुमार संगकारा ने उन्‍हें सलाह भी दी थी क‍ि मुस्‍कुराया करो और हंसा करो। उनका कहना है क‍ि वह उनकी सलाह पर अमल कर रहे हैं और जब भी मौका म‍िलता है खुल कर ठहाके लगाते हैं। वह ज्‍यादातर वक्‍त पर‍िवार के साथ ही रहते हैं। वक्‍त की कमी के चलते वह ज्‍यादा दोस्‍त नहीं बना पाते और न ही दोस्‍तों के ल‍िए ज्‍यादा वक्‍त न‍िकाल पाते हैं।

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