भारतीय महिला क्रिकेट टीम की सीनियर प्लेयर झूलन गोस्वामी ने अपनी प्रतिभा से देश के लिए कई रिकॉर्ड कायम किये। वह अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सबसे ज्यादा विकेट लेनी वाली गेंदबाज हैं। झूलन ने 284 अंतरराष्ट्रीय मुकाबलों में 355 विकेट लिये। उन्होंने वनडे वर्ल्ड कप में भी सबसे ज्यादा 43 विकेट लिये।
आस्ट्रेलियाई टीम को कप ले जाते देख खुद क्रिकेटर बनने की सोचीं
एक इंटरव्यू में उन्होंने अपने क्रिकेट कैरियर की शुरुआत के बारे में बताते हुए कहा कि 1997 वर्ल्ड कप में मैंने पहली बार देखा कि लड़कियां भी खेलती हैं। मैच आस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड के बीच इडेन गार्डन कोलकाता में था। वहां मैं भी भी थी। मैं उसमें बाल गर्ल थी। जब आस्ट्रेलिया मैच जीत गया और सभी खिलाड़ी वर्ल्ड कप लेकर बाउंड्री लाइन के बाहर चारों तरफ घूम रहे थे तो मुझे महसूस हुआ कि यदि मैं स्पोर्ट्स को अपना प्रोफेशन बनाऊं तो एक दिन इंडिया के लिए मुझे भी खेलने का मौका मिलेगा। यही मेरा सपना था।
घर का माहौल खेलों वाला नहीं था और न ही को सपोर्ट करता था
अपने गांव चकदहा आने के बाद मेरे परिवार में किसी को नहीं पता था। मेरे परिवार में कोई भी दस जनम से कोई खेल नहीं खेला था। क्रिकेट तो छोड़िये, दूसरा खेल भी किसी ने नहीं खेला था। वे बोले खेल?, क्रिकेट? महिला क्रिकेट?
यह ऐसा था कि वे लोग खेलों के बारे में कुछ नहीं जानते थे। और मेरे लिये दूसरी समस्या चकदहा से कोलकाता आना था। यहां तक आना एक बार में ढाई घंटे लगता था। यानी आने-जाने में रोजाना पांच घंटे लगते थे। वह भी लोकल ट्रेन से आना जाना होता था।
शुरू में घर वालों को समझाना बहुत कठिन था। वे आर्थोडॉक्स, मिडल क्लास फैमिली से थे और उनके लिए खेलों को कैरियर के रूप में चुनना, वह भी क्रिकेट बहुत ज्यादा कठिन था। लेकिन मेरी दादी पॉजिटिव सोच की महिला थी। वह हमेशा मेरी सपोर्ट करती थीं।
वह घर में अकेली ऐसी महिला थी, जो हमेशा मेरी मदद की, वह भी शुरुआत से ही मेरे साथ खड़ी रही हैं। तो यह एक मेरे पास सपोर्ट था। और दिन के अंत में यह मायने नहीं रखता था कि कौन मुझे डांट रहा है। कोई भी मेरी दादी को नहीं कह सकता था। वह ब्रिटिश राज जमाने की थी। उनके जमाने में कोई आजादी नहीं थी। देश को आजादी मिलने के बाद बहुत कुछ बदला। वह हमेशा खुद को आजाद करना चाहती थी।