मैदान पर शुरू से ही आक्रामकता दिखाने वाले क्रिकेटर चेतेश्वर पुजारा वह सोना हैं जो तप कर निखरा हो। शुरुआती दौर में ही झटके खाकर वह अंदर से मजबूत और धीरज वाले परिपक्व क्रिकेटर बन कर उभरे हैं।
अंडर-15 विश्व कप में चेतेश्वर को नहीं लेने पर हर कोई हैरान था
जब वह अंडर-13 में सौराष्ट्र के लिए खेल रहे थे तो उन्होंने एक बार 300 रन का भारी भरकम स्कोर बनाया। उसी साल अंडर-15 विश्व कप के लिए टीम का चयन होना था। इसके लिए उन्हें शिविर में बेंगलुरु बुलाया गया। वह पहुंचे। चेतेश्वर के विशाल स्कोर को देखकर सब मान रहे थे कि उनको भारतीय टीम का कप्तान बनाया जाएगा। शिविर के दूसरे बच्चे भी ऐसा मानकर चल रहे थे। हर तरफ उनका कप्तान बनना निश्चित होने की चर्चा भी शुरू हो गई थी, लेकिन जब नामों का ऐलान हुआ तो कप्तानी तो दूर की बात है, वह टीम में भी नहीं शामिल किए गए थे।
बेंगलुरु से वाया मुंबई, राजकोट आते वक्त हुई थी सूटकेस चोरी
इस हाल में भी हौसला खोए बिना उन्होंने पिता अरविंंद पुजारा को फोन कर खबर दी और वापस घर के लिए रवाना हुए। बेंगलुरु से वाया मुंबई, राजकोट के लिए ट्रेन में सवार हुए तो रास्ते में एक और हादसा हो गया। कोई उनका सूटकेस उड़ा ले गया। उसी में उनका सारा जरूरी सामान, फोन और पैसे थे। तब उनकी उम्र केवल 13 साल थी।
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चेतेश्वर ने किसी के फोन से पिता को कॉल किया और चोरी की जानकारी दी। अरविंद पुजारा पैसे लेकर मुंबई पहुंचे और चेतेश्वर से मिले तो उनके चेहरे पर कोई शिकायत, खीझ या डर का भाव नहीं था। चेतेश्वर एकदम शांत थे।
चेतेश्वर के पिता जब मुंबई स्टेशन पर थे तभी बड़ौदा से अंडर-16 में खेलने के लिए फोन आया। पिता ने पत्नी को फोन किया और कहा कि चेतेश्वर की ड्रेस किसी साथी खिलाड़ी के हाथों भिजवा दे और वे दोनों राजकोट जाने के बजाय सीधा बड़ौदा पहुंचे। इस तरह के दबाव भरे माहौल के बावजूद चेतेश्वर ने उस मैच में शतक ठोंका।