भारतीय क्रिकेटर चेतेश्वर पुजारा पार्टियों में जाना पसंद नहीं करते, न ही शराब पीते हैं। उनके पिता अरविंंद पुजारा का मानना है कि एक सफल युवा के लिए पार्टी और शराब से दूर रहना आसान बात नहीं है। उनकी राय में मां के संस्कारों के चलते चेतेश्वर ऐसा कर पा रहे हैं।
पुजारा ने 17 वर्ष की उम्र में ही अपने मां को खो दिया था
चेतेश्वर पुजारा के ऊपर मां का साया तो बहुत लंबे समय तक नहीं रहा, लेकिन मां के दिए संस्कार आज भी साथ हैं। वह जब केवल 17 साल के थे तो कैंसर ने उनसे मां को छीन लिया था। उनकी मां रीना बेहद धार्मिक प्रवृत्ति की थीं। वह अक्सर भगवद् गीता के श्लोक दोहराती थीं। वह चाहती थीं कि उनका बेटा भी पूजा-पाठ में रुचि ले।
मां ने कहा था कि जीवन में बहुत संघर्ष करने पड़ेंगे
बढ़ती उम्र के साथ चेतेश्वर पुजारा को वीडियो गेम का शौक चढ़ा। लेकिन, जब वह वीडियो गेम खेला करते थे तो उनकी मां उनसे पूजा-पाठ पर ध्यान देने के लिए कहा करती थीं। इस बात को लेकर चेतेश्वर के पिताजी उनकी मां से कहा करते- बच्चे को ब्लैकमेल तो मत करो। इस पर मां का जवाब होता- मैं उसे ब्लैकमेल नहीं कर रही। वह जीवन में कई संघर्षों का सामना करेगा, बुरा वक्त भी देखना पड़ेगा तो ऐसे वक्त में पूजा बड़ी काम आएगी।
मां मानती थी कि पूजा ध्यान है, इससे विषम हालातों से निपटने में मदद मिलती है
चेतेश्वर की मां का मानना था कि पूजा एक तरह का ध्यान (मेडिटेशन) है और इससे जीवन की विषम परिस्थितियों से निपटने में मदद मिलती है। चेतेश्वर के पिता ने इन बातों का जिक्र करते हुए यह भी कहा था कि चेतेश्वर को उसकी मां ने जो सिखाया वह दुनिया का कोई विश्वविद्यालय नहीं सिखा सकता।
चेतेश्वर ने टीम इंडिया में आने से पहले काफी अच्छा खेला था और करीब 5000 से ज्यादा रन बनाए थे। लेकिन उन्हें कभी कोई पुरस्कार नहीं मिलता था। इस बात को लेकर उनके पिता परेशान रहते। उनके दिमाग में यह उधेड़बुन चलता कि सौराष्ट्र की टीम उनके बेटे के लिए सही रहेगी या किसी और राज्य में चला जाना ठीक रहेगा। लेकिन, पुजारा की मां को ऐसी कोई दुविधा नहीं थी। वह अपने पति को समझाती थीं कि चिंंटू सौराष्ट्र के लिए ही खेलेगा और एक दिन देश के लिए जरूर खेलेगा।
पुजारा को एक बेहतर इंसान बनाने में अगर उनकी मां की भूमिका रही तो एक बेहतरीन क्रिकेटर बनाने में उनके पिता की मेहनत रही है। पिता को शुरू से ही चेतेश्वर में एक गंभीर क्रिकेटर दिखता था। उनके पिता कभी भी पड़ोस के बच्चों के साथ चेतेश्वर को नहीं खेलने देते थे। हालांकि, चेतेश्वर को दोस्तों के साथ खेलना काफी पसंद थे। चेतेश्वर दोस्तों के साथ जब भी क्रिकेट खेलते तो उनके पिता देखा करते थे और उनसे कहा करते थे कि तुम विकेट लेने पर ध्यान दो।