एक बार सुनील गावस्कर ने क्रिकेट पर चर्चा के दौरान कहा कि पाकिस्तान टीम में जावेद मियांदाद और अब्दुल कादिर दो ऐसे लोग हैं, जो बहुत चर्चित रहते थे। उनके किस्से बहुत सुने जाते हैं और वे बहुत ज्यादा पढ़े जाते हैं। जावेद मियांदाद तो कप्तान की भी नहीं सुनते थे और मैदान को खुद ही सजाने लगते थे।
वसीम ने इमरान खान से पूछा ऐसा क्यों किया
इसके बारे में वसीम अकरम ने एक मजेदार कहानी बताई। उन्होंने कहा कि एक बार शारजाह में मैच था। जावेद मियांदाद को कप्तान इमरान खान ने थर्ड मैन की जगह भेज दिया। वसीम ने कहा कि जावेद शरारती भी था और मैं इमरान के क्लोज था। मैंने स्कीपर से अगले दिन पूछा कि इमरान भाई मैंने अखबारों में पढ़ा कि आपको जावेद भाई इतनी सजेशन देते हैं तो आपने उनको इतनी दूर थर्ड मैन की जगह भेज दिया।
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उन्होंने जो जवाब दिया, वह मजेदार है। उन्होंने कहा कि छह सौ चीज बताते हैं तो एक चीज ठीक हो जाती है। इसलिए उनको वहां भेज दिया कि एक चीज तो ठीक होनी ही है। दूसरी तरफ जावेद का डिफेंस यह है कि वह कहते हैं कि मैं हमेशा क्रिकेट में इनवाल्व रहता हूं। टेस्ट मैच है, वनडे है या कुछ भी है, वह हमेशा इन्वाल्वड इन द गेम। ही एक्चुअली थिंक आउट ऑफ द बॉक्स। दैट वाज हिज क्लास।
वसीम ने बताया कि कोई उनसे कह रहा था कि जावेद का माइंड बहुत शार्प है, सिचुएशन कैसे रीड करनी है, किस बालर पर अटैक करना है, किसको रोकना है। एवरीथिंग ही नींव बिफोर द गेम। वह सारी प्लानिंग करके आते हैं। जावेद मियांदाद और इमरान खान के बीच संबंध भी बहुत अच्छे नहीं रहते थे।
जावेद मियांदाद मैदान हो या मैदान के बाहर अक्सर वह गुस्से में रहते थे। जरा-जरा सी बात पर लड़ने लगते थे। उनकी इस आदत से पाकिस्तान के अलावा दूसरे देशों की टीमों के खिलाड़ी भी परेशान रहते थे।