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लक्ष्मण के मां-बाप ने क्रिकेटर बनने के लिए दिया था पांच साल का वक्त, वीवीएस ने ऐसे पूरी की चुनौती

VVS Laxman | Indian Cricketer | Test Cricketer

भारतीय क्रिकेटर वीवीएस लक्ष्मण और उनका परिवार। (फोटो- फेसबुक)

तेलुग ब्राह्मण परिवार में जन्म वीवीएस लक्ष्मण (VVS Laxman) एक ऐसे क्रिकेटर के तौर पर जाने जाते हैं, जिन्होंने कभी हार नहीं मानी। उनके माता-पिता चाहते थे कि वह डॉक्टर बनें। इसके लिए उनको पढ़ने के लिए लगातार प्रेरित करते थे, लेकिन लक्ष्मण का मन सिर्फ और सिर्फ क्रिकेट मे लगता था। लक्ष्मण की जिंदगी से जुड़ी एक बड़ी रोचक घटना है। उनके माता पिता भले ही उनको डाक्टर बनने पर जोर देते थे, लेकिन लक्ष्मण ने तय कर रखा था कि बनेंगे तो सिर्फ क्रिकेटर ही।

उन्होंने यह बात अपनी मां को बता दी। मां ने लक्ष्मण की इच्छा की जानकारी पिता को दी। इसके बाद उनके माता-पिता ने आपस में बात करके लक्ष्मण को पांच साल का वक्त दिया। कहा कि अगर पांच साल में क्रिकेट में अपनी जगह नहीं बना सके तो फिर मेडिकल की तैयारी करनी पड़ेगी। लक्ष्मण ने यह चुनौती स्वीकार कर ली।

लक्ष्मण को पता था कि यह चुनौती आसान नहीं है। टीम इंडिया में शामिल होने के लिए बहुत मेहनत करनी पड़ेगी। उस समय आज की तरह खेलने के बहुत मौके नहीं मिलते थे। न ही इतने टूर्नामेंट होते थे।

बहरहाल लक्ष्मण अपने अभियान में लग गये। वे लगातार प्रैक्टिस करते और स्थानीय प्रतियोगिताओं में भाग लेते रहे। इससे उनके परफार्मेंस में लगातार सुधार होता गया।1992 में उनको रणजी ट्रॉफी में खेलने का अवसर मिला, जो भारत का प्रमुख घरेलू प्रथम श्रेणी क्रिकेट टूर्नामेंट है। उन्होंने हैदराबाद राज्य के लिए रणजी ट्रॉफी खेली। अपने घरेलू क्रिकेट करियर के दौरान उन्होंने रणजी ट्रॉफी प्रतियोगिता में हैदराबाद क्रिकेट टीम का प्रतिनिधित्व किया।

रणजी ट्रॉफी में उनका प्रदर्शन शानदार रहा। इसके बाद उनको दलीप ट्रॉफी में खेलने का अवसर मिला। 1995 के दलीप ट्राफी के सेमीफाइनल में उनके जोरदार प्रदर्शन ने टीम इंडिया के चयनकर्ताओं का ध्यान खींचा। इसके ठीक अगले साल 1996 में दक्षिण अफ्रीका के विरुद्ध खेलने के लिए उनको भारतीय टीम में शामिल किया गया।

उस समय उनकी उम्र मात्र 22 साल की थी। वीवीएस लक्ष्मण के लिए यह वह दिन था, जिस दिन उनका पांच साल का वक्त भी पूरा हो रहा था। उनके माता-पिता ने उनको पांच साल का वक्त क्रिकेट के लिए दिया। इस तरह लक्ष्मण का सपना पूरा हुआ।

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