Vrinda Rathi and First Women Umpire: नवी मुंबई की वृंदा राठी ने अंतरराष्ट्रीय मैच में मैदान पर जब पहली बार अंपायरिंग के रूप में काम करने के लिए उतरीं तो उन्हें लगा कि यह संघर्ष को बुला लेने वाली बात है। उन्होंने कहा कि वह डर रही थीं, लेकिन हिम्मत नहीं छोड़ीं और आगे अपना नाम सुनहरा कर लीं। वह भारत की पहली पहली महिला अंपायर बन गईं। 33 साल की वृंदा राठी महिला टी-20 वर्ल्ड कप 2023 में यह काम किया था। 2013 में महिला वर्ल्ड कप के दौरान बीसीसीआई की स्कोरर रहीं वृंदा राठी ने पहली बार बीसीसीआई के लेवल 2 की परीक्षा पास की और भारत की पहली महिला अंपायर बन गईं।
Vrinda Rathi and First Women Umpire: वृंदा ने कहा कि आसान नहीं था इस फिल्ड में कदम रखना
नवी मुंबई की छोटी सी जगह से निकलकर बीसीसीआई का स्कोर्स एग्जाम पास करना और उसके बाद मुंबई के लोकल मैदानों पर अंपायरिंग करना आसान नहीं था। उन्होंने कभी इसके बारे में सोचा भी नहीं था। रणजी ट्रॉफी में वह पोवोरिम में हुए गोवा बनाम पुदुचेरी मैच में भी अंपायरिंग कर चुकी है। इसके अलावा वह आईसीसी के साल 2020 के डेवलेपमेंट अंपायर के रूप में भी काम कर चुकी हैं।
उनका कहना है कि “अंपायरिंग के लिए आपको चिलचिलाती धूप में अपने कौशल को निखारने की आवश्यकता होती है। नौकरी के लिए शारीरिक सहनशक्ति और मानसिक दृढ़ता दोनों की आवश्यकता होती है। बॉडी लैंग्वेज, संचार और पारस्परिक कौशल से अधिक, यह चतुर निर्णय लेने की क्षमता है जो एक अच्छे अंपायर को परिभाषित करती है।” उन्होंने कहा, “जब आस-पास हर कोई जानता है कि आपका मतलब क्षेत्र के केंद्र में व्यवसाय है, तो आपका लिंग कोई मायने नहीं रखता।”
इंटरनेशनल क्रिकेट काउंसिल की मैनेजर स्नेहल प्रधान ने इस मसले पर अपनी राय रखते हुए कहा कि जब युवा महिलाएं और लड़कियां इसे देखती है तो उन्हें विश्वास होता है कि वे भी ऐसा कर सकती है। यही कारण है कि इस मैच अधिकारियों के पैनल होना इतना खास क्यों है।
उन्होंने कहा, यह आने वाली पीढ़ी को दिखाता है कि करियर में यह एक रास्ता है, जो उन्हें खेल के टॉप पर ले जाता है। वर्ल्ड कप में ऐसा करना अहम हैं, भले ही आप खिलाड़ी ना हों। आप इससे सीख सकते हैं कि खेल में शामिल होने के और भी तरीके हैं।