Viru Family and ICC Rule: विरेंदर सहवाग आम तौर पर अंधविश्वासी नहीं हैं, लेकिन उनकी मां जरूर हैं। एक इंटरव्यू के दौरान विरेंदर सहवाग ने खुलासा किया कि जब वह मैच खेलते थे तो मां और पत्नी दोनों लोग एक जगह बैठी रहती थीं, वहां से हटती नहीं थीं। विरेंदर ने बताया कि उनके पास एक टीशर्ट थी, जिसका नंबर 44 था, जो उनकी पसंद का नंबर नहीं था। लेकिन कपड़े बनाने वाली कंपनी ने किसी दूसरे का नाम और नंबर डालकर दिया था। संयोग से उसको पहनने के बाद सहवाग का टीम में सेलेक्शन हो गया। उस नंबर की टीशर्ट को पहनकर वे खेलते रहे।
Viru Family and ICC Rule: जर्सी नंबर को लेकर सास-बहू की कभी नहीं पटती थी
2005 के बाद जब समय खराब आया तो मां ने किसी ज्योतिषी से पूछा कि अच्छा समय लाने के लिए क्या करें। तो ज्योतिषी ने कहा कि 46 नंबर का टीशर्ट पहनें। तब सहवाग 46 नंबर का पहनने लगे, लेकिन उससे कोई फायदा नहीं हुआ। पत्नी ज्योतिष की किताबें पढ़ती है और इसकी जानकारी जुटाती है।
उसने कहा कि आपका नंबर 2 होना चाहिए। सहवाग बोले कि पत्नी के कहने पर 2 नंबर का टीशर्ट पहनने लगा। लेकिन उससे भी कुछ नहीं हुआ। एक चीज जरूर हुआ कि सास-बहू की लड़ाई शुरू हो गई और उसमें मैं फंस गया।
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यदि मां की सुनता तो 46 नंबर पहनना पड़ता और पत्नी की सुनता तो 2 नंबर पहनना पड़ता। इससे परेशान होकर सहवाग ने 46 और 2 दोनों नंबरों की टीशर्ट बनवा ली। एक मैच में 46 पहनते थे, दूसरे में 2 नंबर की टीशर्ट पहनते थे। इस दौरान आईसीसी का रूल आया कि एक नंबर का ही टीशर्ट पहन सकते थे। उसे बदल नहीं सकते हैं। इसके बाद सहवाग ने नंबर पहनना ही बंद कर दिये।
सहवाग ने एक और बात बताई। उन्होंने कहा कि जब वे मैदान में खेलने जाते थे रस्सी के पार पहले दांया पैर रखते थे, क्योंकि आम तौर पर जब गृहप्रवेश करते हैं तब भी दांया पैर पहले रखा जाता है। उसके बाद मैं भगवान को याद कर लेता था कि आज कुछ कर दो। अगर भगवान ने कर दिया तो विपक्षी टीम का नुकसान हो जाता था और अगर नहीं किया तो हमारी टीम का नुकसान होता था।