Virat Kohli and Ishant Sharma Bonding: इशांत शर्मा टीम इंडिया के तेज गेंदबाज रहे हैं और मशहूर क्रिकेटर विराट कोहली के सबसे अच्छे मित्र हैं। दोनों के बीच काफी अच्छे संबंध हैं। क्रिकेट में दोनों ने बहुत लंबा सफर साथ-साथ तय किया है। क्रिकेट खेलने की बात हो या टीम इंडिया में एंट्री की, दोनों खिलाड़ियों की बांडिंग साफ-साफ दिखाई देती है।
क्रिकेट खेलने से लेकर भारतीय क्रिकेट टीम में एंट्री के दौरान दोनों खिलाड़ी एक साथ एक दूसरे का मनोबल बढ़ाते रहते थे। हाल ही में इशांत शर्मा ने विराट कोहली से जुड़े कुछ मजेदार किस्से मीडिया के सामने शेयर किये थे।
Virat Kohli and Ishant Sharma Bonding: विराट कोहली में पहले से आ चुका है काफी बदलाव
इंटरव्यू के दौरान ईशांत शर्मा ने विराट कोहली में आए बड़े ट्रांसफॉरमेशन के बारे में खुलासा किया। उन्होंने साल 2012 का वह किस्सा सुनाया, जब विराट कोहली ने अपने डाइट पर फोकस करना शुरू किया, जिसके बाद जो है आज सबसे फिट खिलाड़ी के रूप में नंबर वन माने जाते हैं। उन्होंने बताया कि विराट कोहली में पहले से काफी अधिक बदलाव आए हैं।
विराट कोहली से दोस्ती के दौरान मैंने उनके कई सारे रूप देखे हैं फिर चाहे वो किसी पार्टी में देर रात तक इंजॉय करना हो या फिर टैटू बनवाना मैं सदैव उनके साथ साथ ही रहा हूं। ‘मुझे उस समय की बात आज भी याद आती है जब विराट के साथ मैं अंडर-19 में कोलकाता में मैच खेल रहा था उस दौरान विराट ने डे-नाइट मैच में आधी रात तक बैटिंग की, फिर देर रात पार्टी भी की लेकिन अगले ही दिन मैच के दौरान विराट ने 250 रन बनाकर गजब की पारी खेली।’
उस दौरान मुझे महसूस हुआ कि साल 2012 के बाद उनकी मेंटल हेल्थ के साथ-साथ उनके क्रिकेट करियर में भी बहुत बड़ा बदलाव आया है। इसके अलावा कुछ इमोशनल पलों को याद करते हुए इशांत शर्मा ने उस दौर का जिक्र किया जब विराट कोहली ने अपने पिता को अंतिम विदाई दी। इशांत ने बताया कि विराट कोहली के पिता के निधन के बाद विराट कोहली बेहद दुखी थे और अपने आपको बहुत ज्यादा अकेला महसूस करते थे।
इशांत ने इंटरव्यू के दौरान यह भी बताया कि उन्हें उस दौरान यह समझ ही नहीं आ रहा था कि वह उनका दुख बांटने में उनकी कैसे मदद करें। विराट कोहली की हिम्मत को देखते हुए इशांत शर्मा बताते हैं कि अपने पिता की मौत के बाद भी उन्होंने बल्लेबाजी को नहीं छोड़ा और मैदान में उतर कर गजब की जीत दिलाई।
विराट कोहली के पिता के निधन के दौरान वो सिर्फ 17 साल के थे परंतु उन्होंने किस तरह से अपने आप को संभाला और किस तरह से मैदान में वापसी करके धमाकेदार जीत हासिल की वह सच में काबिले तारीफ है अगर मैं उनकी जगह होता तो शायद कभी ऐसा ना कर पाता। 17 साल की उम्र में अपनी जीवन से पिता के साए को खो देने के बाद अपने गम को संभालते हुए जिस तरह से उन्होंने क्रिकेट पर फोकस किया वह साथ में मेरे लिए बहुत ज्यादा इंस्पायरिंग था।