Vengsarkar First Meeting With Gavaskar: भारतीय क्रिकेट टीम के पूर्व कप्तान और मैदान पर जानदार बल्लेबाजी करने के लिए मशहूर दिलीप वेंगसरकर अपने जमाने के दुनिया के बड़े खिलाड़ियों में गिने जाते थे। वह 1983 में भी भारतीय टीम में खेले थे, जब भारत ने विश्व कप जीता था। वेंगसरकर को साथी खिलाड़ी कर्नल के नाम से भी पुकारते हैं। देश के लिए खेलते हुए उन्होंने कई रिकॉर्ड भी बनाये हैं।
Vengsarkar First Meeting With Gavaskar: जुनून में ड्रेसिंग रूम में घुस गये थे
वेंगसरकर के बचपन का एक बड़ा दिलचस्प किस्सा सुनील गावस्कर से जुड़ा है। क्रिकेट में सुनील गावस्कर उनके आदर्श रहे हैं। जब सुनील गावस्कर से उनकी पहली बार मुलाकात हुई, तब वह केवल 14 साल के थे। वे बंबई के वानखेड़े स्टेडियम में बॉम्बे और कर्नाटक के बीच रणजी ट्रॉफी मैच देखने गए थे।
उस वक्त उनको क्रिकेट और सुनील गावस्कर के प्रति इतना जुनून था कि वह किसी तरह ड्रेसिंग रूम में घुस गये। वहां सामने कुर्सी पर गावस्कर को बैठे देखा तो उनकी आवाज ही बंद हो गई। वह इतना डरे हुए थे कि एक शब्द भी बोल नहीं सके। बस गावस्कर को देखते ही रहे। गावस्कर ने उन्हें देखा तो पास में बुलाया और नाम पूछा।
गावस्कर को लगा कि ये स्टेट लेवल के कोई खिलाड़ी हैं, तभी ड्रेसिंग रूम में एंट्री पा सके होंगे। इसलिए उनसे बड़े प्यार से पूछा कि कहां खेलते हो। इस तरह की बातचीत से वेंगसरकर को थोड़ा आत्मविश्वास बढ़ा और उन्होंने खुलकर बता दिया कि वे दादर यूनियन के लिए खेलते हैं और उनके बहुत बड़े प्रशंसक हैं। इस बात पर गावस्कर को हंसी आ गई। उन्होंने वेंगसरकर को बल्लेबाजी के कुछ टिप्स दिये।
इस मुलाकात से वेंगसरकर को इतनी खुशी और प्रेरणा मिली कि वे क्रिकेट के लिए दिन रात एक कर दिये। उसके बाद से उन्होंने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा और लगातार आगे बढ़ते रहे। पहले उनको बॉम्बे की ओर से खेलने का अवसर मिला, फिर एक दिन वह भी आया, जिसका उन्हें कई सालों से इंतजार था।
टीम इंडिया में उनका सेलेक्शन हुआ और गावस्कर के साथ टीम में खेलने के लिए बुलाया गया। वेंगसरकर ने एक इंटरव्यू में कहा था कि उनके लिए गावस्कर के साथ खेलना और उनकी टीम में रहना जिंदगी की बहुत बड़ी उपलब्धि थी।