Umesh Yadav Lifestyle: उमेश यादव का जन्म नागपुर से करीब 30 किमी दूर खापरखेड़ा गांव में हुआ था। पिता ने परिवार को पालने में सेहत की भी परवाह नहीं की। कोयला खदान में काम करते हुए उन्हें सांस की भी तकलीफ रही, लेकिन उनकी खुशी सिर्फ बबलू (उमेश का घर का नाम) का क्रिकेट कॅरिअर बनते देखने में थी। 74 साल की उम्र में बीमारी से जूझते हुए नागपुर में 22 फरवरी, 2023 को जब उन्होंने दुनिया को अलविदा कहा तो उन्हें यह देख लेने का सुकून जरूर रहा होगा।
Umesh Yadav Lifestyle: उमेश के सरल स्वभाव की वजह से बहुत लोग मदद मांगने चले आते हैं
उमेश के पिता बेहद साधारण जिंदगी जीते थे। जब बेटे ने दौलत और शोहरत कमाई तब भी वह लाइमलाइट में नहीं आना चाहते थे। एक बार उन्होंने बताया था कि जब वह बाजार गए तो अपना चेहरा ढंक लिया ताकि उन्हें कोई पहचान नहीं सके। हां, क्रिकेटर बनने के बाद परिवार में पैसा आया तो बहुत सारे लोग उनके पास अलग-अलग काम के लिए मदद मांगने आने लगा। कोई मंदिर बनवाने के लिए तो कोई बेटी की शादी के लिए।
पिता के इस स्वभाव की झलक उमेश यादव में भी है। उन्हें जानने वाले बताते हैं कि उमेश यारों का यार है और किसी पर भरोसा करता है तो पूरी तरह करता है। उनके एक दोस्त ने उनको एक फ्लैट बेचा और बाजार दाम से करीब दोगुना पैसा ले लिया। उमेश को जब इसका अहसास हुआ, तब भी उन्होंने बुरा नहीं माना। कोई जब इस बात की चर्चा भी कर देता है तो वह बात टाल देते हैं। हाल ही में ऐसी भी खबर आई कि उनके मैनेजर ने उनके साथ 44 लाख रुपए की धोखाधड़ी कर ली।
प्रीतम पंढे कहते हैं- उमेश में छल-कपट है ही नहीं। न ही वह इस स्वभाव का है कि अपनी मार्केटिंंग खुद करे। न ही वह किसी को जबरदस्ती खुश करने के लिए कुछ करने वाला लड़का है। वह सोशल मीडिया पर इमेज चमकाने की इच्छा भी नहीं रखता। ‘शोबाजी’ में उसका यकीन ही नहीं है।
उमेश ने शुरू से जीवन में उतार-चढ़ाव देखे। क्रिकेट करिअर शुरू करने के बाद भी। कई बार ऐसा हुआ कि उन्हें टीम से बाहर रहना पड़ा। लेकिन, उन्होंने इस दर्द को खुलकर कभी जाहिर नहीं किया। तब भी नहीं जब 2019 में वर्ल्ड कप के लिए टीम चुनी जा रही थी और उसमें उमेश यादव को नहीं शामिल किया गया। एक बार उन्होंने एक पत्रकार से बस इतना कहा था कि बुरा तो लगता है, लेकिन अच्छा यही है कि आप हालात को समझें और उसका सामना करें।