Two Cricketer Friends Mingling: पूर्व क्रिकेटर बिशन सिंह बेदी और पाकिस्तान के पूर्व क्रिकेटर इंतखाब आलम की दोस्ती 50 साल से भी पुरानी है। इस दोस्ती में नई जान फूंकने के लिए बिशन सिंंह बेदी की पत्नी ने अंजू ने एक प्लान बनाया था। प्लान अंजाम तक पहुंचा तो मिलन के आंसुओं ने रिश्तों को नई गरमाहट दी।
Two Cricketer Friends Mingling: करतारपुर साहब गुरुद्वारे में हुआ मिलना-जुलना
3 अक्टूबर 2022 को जब बिशन सिंह बेदी अपने पोते का जन्मदिन मना रहे थे तभी उन्होंने इच्छा जताई कि करतारपुर साहब गुरुद्वारे चलना चाहिए। उनकी पत्नी ने इंतखाब की पत्नी से बात की। उधर से फौरन कहा गया- हम भी वहां पहुंचेंगे। साथ ही फरमाइश हुई कि भारत से उनके लिए एक मिक्सी लेकर जरूर आएं। स्टील वाली मिक्सी।
इंतखाब की पत्नी ने अपना ‘दर्द’ बयां करते हुए कहा- पाकिस्तान में प्लास्टिक और शीशे की मिक्सी मिलती है जो उन्होंने कई बार खरीदी पर हर बार टूट जाती है। अंजू ने बाकी तोहफों के साथ अमृतसर में दो मिक्सी भी खरीदे। इंतखाब बिशन सिंह बेदी के लिए एक घड़ी लेकर आए थे। उन्होंने खुद उनकी कलाई पर वह घड़ी बांधी। खूब हंसी-मजाक, मौज-मस्ती चला। इसी बीच अंजू ने एक गाने की फरमाइश कर दी।
इंतखाब ने गाना शुरू किया तो सबकी आंखों से आंसू आ गए। इस गाने का संबंध 1970 के दशक से है, जब वर्ल्ड इलेवन और ऑस्ट्रेलिया के बीच टेस्ट सीरीज चल रहा था। इंतखाब और बिशन सिंह बेदी वर्ल्ड इलेवन टीम में थे। एक इतवार की शाम क्लब में सारे खिलाड़ी थे। अलग-अलग देशों के खिलाड़ी।
कोई नाच रहा था, कोई गा रहा था और कोई बजा रहा था। वहीं इंतखाब ने लुइस आर्मस्ट्रॉन्ग का एक जैज गाना गाया था। बिशन सिंंह बेदी को वह बहुत पसंद आया था। अंजू ने करतार साहिब गुरुद्वारे में जब इस गाने की फरमाइश की तो पहले इंतखाब थोड़े हैरान हुए और सकुचाए कि गुरुद्वारे में जैज कैसे गाएं। पर दोस्ती में कहां कोई बंधन काम करता है।
इंतखाब ने गाना शुरू किया तो सब पुरानी यादों में खो गए और आंसुओं में भीग गए। इंतखाब और बेदी की मुलाकात एक मैच में हुई थी। इंतखाब ने बेदी की गेंद पर रन पीट दिया तो उन्होंने मजाक किया- भाई मेरी बॉल को क्यों पीट रहा है और भी तो खिलाड़ी हैं! इस मजाक से शुरू हुआ रिश्ता गहराता ही चला गया।
फरवरी 2021 में बिशन सिंह बेदी की हार्ट सर्जरी हुई थी। दिमाग में खून का थक्का जम जाने की वजह से स्ट्रोक आया था। उसके बाद इमरजेंसी सर्जरी की गई थी। इस दौरान हर तीसरे दिन पाकिस्तान से इंतखाब आलम का फोन आता था। बंटवारे के दौरान शिमला से पाकिस्तान जाने वाला आखिरी परिवार था।
इंतखाब के पिता पटियाला महाराज की टीम में खेला करते थे। उनके सेना में भी बहुत सारे दोस्त थे। बंटवारे के समय उनका परिवार शिमला का आखिरी परिवार था जो पाकिस्तान आया था। उन्हें ले जाने के लिए एक ब्रिगेडियर ने ट्रक भेजा था। ट्रक से परिवार लुधियाना पहुंचा और वहां से कालका आया।
कालका से ट्रेन के जरिए लाहौर पहुंचा। जिस ट्रेन में वे बैठे वह आखिरी ट्रेन थी। लेकिन, गलत सिग्नल देते हुए कहा गया था कि यह माल गाड़ी है और पैसेंजर ट्रेन इसके बाद आएगी। इस तरह परिवार सुरक्षित पाकिस्तान पहुंच सका था।