सचिन तेंदुलकर ने साल 2013 में जब क्रिकेट से संन्यास लिया और अपना आखिरी मैच खेलने के बाद वानखेडे स्टेडियम के ड्रेसिंग रूम में लौटे तो सीधे एक छोटे से कमरे में गए। वहां एक कुर्सी पर बैठ गए और रोना शुरू कर दिया। सामने उनका किट बैग रखा हुआ था और फूलों के कुछ गुलदस्ते रखे हुए थे जो विदाई का अहसास करा रहे थे।
सचिन अपनी भावनाओं पर काबू नहीं कर सके। पत्नी अंजलि ने जब उनकी आंखों में आंसू देखा तो उनके पास गईं और उन्हें उठाकर मां रजनी की ओर ले गईं। सचिन की मां भी बेटे का आखिरी मैच देखने स्टेडियम आई हुई थीं। भावनाओं पर काबू करके जब सचिन अपना विदाई भाषण देने आए तब पूरा स्टेडियम रो रहा था।
सचिन ने अपना आखिरी टेस्ट मैच देखने के लिए 500 मेहमानों को बुलवाया था। इस उन सबको उन्होंने पास भिजवाए थे। इनमें उनके माली, ड्राइवर, गार्ड, पुराने दोस्त, जहां शुरू में रहते थे उस जगह के लोग आदि शामिल थे।
रिटायरमेंट के बाद सचिन तेंदुलकर ने अपने दोस्तों और परिचितों के लिए एक शानदार पार्टी भी रखी थी। इसमें 450 से ज्यादा मेहमान बुलाए गए थे, लेकिन सचिन के पुराने दोस्त विनोद कांबली का नाम मेहमानों में नहीं था।
इससे विनोद कांबली काफी आहत हुए थे। कांबली और सचिन दोस्त तो थे लेकिन उस समय 7 वर्षों से उनके बीच बातचीत बंद थी। कभी-कबार एसएमएस के जरिए कुछ बातचीत हो जाया करती थी। कांबली का कहना था कि सचिन ने उनसे संपर्क क्यों नहीं रखा, इसका जवाब वही दे सकते हैं।
सचिन ने अपने विदाई भाषण में भी कांबली का नाम नहीं लिया था। विनोद कांबली को इस बात का काफी दुख हुआ था कि सचिन ने ना तो विदाई भाषण में उनका नाम लिया और ना ही पार्टी में बुलाया जबकि 10 वर्ष की उम्र से ही दोनों की दोस्ती थी। दोनों ने मिलकर क्रिकेट के मैदान पर भी रिकॉर्ड साझेदारी वाली पारी खेली थी।