Jumbo and Chiku Clash: पूर्व भारतीय क्रिकेटर अनिल कुंबले जब टीम इंडिया के कप्तान थे, तब उनकी कप्तानी में गौतम गंभीर भी खेलते थे। कुंबले अनुशासनप्रिय, जिम्मेदारी और लगन को पसंद करते थे। वे सभी गुण उनमें थे और वे साथी खिलाड़ियों से भी यह उम्मीद करते थे कि वे इसको अपनाएं।
Jumbo and Chiku Clash: कुंबले के बाद रवि शास्त्री बनाए गये कोच
अनिल कुंबले जब कप्तानी से हटाए गये तो बाद में उन्हें टीम इंडिया का कोच बनने का भी मौका मिला था। लेकिन उस समय कप्तान विराट कोहली से उनका विवाद हो गया। विराट का मानना था कि कुंबले टीम के अन्य साथियों के साथ संवाद नहीं रखते हैं और तनाव का माहौल रहता है। विराट से मतभेद की वजह से उन्हें कोच पद से इस्तीफा देना पड़ा था और उनकी जगह रवि शास्त्री कोच बनाए गये थे।
अनिल कुंबले की कप्तानी और उनकी लीडरशिप में खेल चुके पूर्व क्रिकेटर गौतम गंभीर ने क्रिकेटनेक्स्ट से बात करते हुए उनके बारे में कई बातें शेयर कीं। उन्होंने बताया कि अपनी जिंदगी में जितनी लीडरशिप क्वालिटी अनिल कुंबले से सीखी है, उतनी किसी से नहीं।
उन्होंने कहा कि उनकी कप्तानी में पांच टेस्ट मैच खेला हूं। यह दुर्भाग्य है कि बीसीसीआई ने उनको बहुत ज्यादा अवसर नहीं दिया और लंबे समय तक वह कप्तान नहीं रह सके।
गौतम ने कहा कि बीसीसीआई ने जब उनको हटाया तो यह इंडियन क्रिकेट के लिए बड़ा दुर्भाग्य था। उन्होंने जिस तरह से कप्तानी की है, अगर वे कप्तान होते तो शायद इंडियन क्रिकेट का लेवल डिफरेंट होता। वे लीजेंड हैं। इस दुनिया में कोई भी जितनी मर्जी हो रन बना ले, जितनी मर्जी हो हजार रन बना ले, हिंदुस्तान की हिस्ट्री में अब तक और आने वाले कितने सालों तक अगर कोई मैच विनर हुआ है, सबसे बड़ा मैच विनर तो वह अनिल कुंबले रहे हैं।
गौतम ने कहा कि अगर आप अपने लीजेंड्स को इस तरह से बीहेव करोगे तो इंडियन क्रिकेट के लिए इससे बड़ा डिसग्रेसफुल इवेंट्स कुछ नहीं होगा। जिस तरह के ईमानदार इंसान हैं वे और जिस तरह के क्रिकेट वे खेले हैं और जिस तरह उन्होंने मैच जिताए हैं, उनके साथ इस तरह का व्यवहार बीसीसीआई की हार है।
विराट कोहली की कप्तानी के दौरान कोच अनिल कुंबले से हुए विवाद पर उन्होंने कहा कि विराट कोहली को बहुत ज्यादा पॉवर देना अनुचित था और कहा क्रिकेट मैच टीम को लेकर खेला जाता है। सबको साथ लेकर चलते हैं। सबका एक विजन होता है।
गौतम गंभीर ने कहा, “मैंने भी सात साल केकेआर की कप्तानी की है और कई बार मैंने भी यह डिसीजन ली है कि इनको कोच बनना चाहिए और इनको नहीं, लेकिन उसका एक तरीका होता है, एक वैलिड रीजन होता है। किस रीजन से आप उनको कोच नहीं रखना चाहते हैं, क्या आप सेम विजन के नहीं हो, क्या आपको लगता है कि वो आनेस्ट नहीं है, क्या वो हार्डवर्किंग नहीं है।”
गौतम ने कहा कि अगर विचारों में मतभेद है तो उसको बातचीत से दूर करें। ऐसे में किसी को निकाल नहीं देना चाहिए। मतभेद तो घर में भी होते हैं तो क्या घर से उसको निकाल देते हैं।