Success Secret Of Mohammad Kaif: बचपन से घर में क्रिकेट का माहौल था, क्रिकेट के अलावा कुछ नहीं, मोहम्मद कैफ ने बताई जीवन के खास रहस्य
Success Secret Of Mohammad Kaif: भारतीय टीम में पतले-दुबले और कुछ लंबे से एक क्रिकेटर थे मोहम्मद कैफ जो जब फिल्डिंग करते थे, डाइव मारते थे तो उनकी फुर्ती देखते ही बनती थी। मोहम्मद कैफ ने एक इंटरव्यू में बताया कि इलाहाबाद (अब प्रयागराज) में जहां वह रहते थे, घर का पूरा माहौल क्रिकेट वाला था। पापा रणजी प्लेयर थे, दो बड़े भाई थे, वे भी क्रिकेट खेलते थे। घर में पापा के जीते मेडल, ट्राफियां और कप्स सजे रहते थे। उसको देखते हुए बड़ा हुआ हूं।
उन्होंने कहा कि मेरे फादर रणजी मैच खेले हैं। और 62 फर्स्ट क्लास मैच खेले हैं। वे 17 साल मैच खेले हैं तो घर में ऐसा माहौल था। हां मेरे पास और कोई ऑप्शन नहीं था यानी क्रिकेट फैमिली बिजनेस जैसा था। भाई के साथ मैं मैदान में रोज प्रैक्टिस करने जाता था तो मैं गेंद पकड़ता था। भाई लोग बैटिंग करते थे।
Success Secret Of Mohammad Kaif: कैफ को बचपन से पता खेल का नियम
घर में जब सब लोग क्रिकेटर ही थे तो मुझे क्रिकेट के बारे में बचपन से सब कुछ पता था। यह कैसे खेला जाता है और इसके क्या नियम हैं और कौन-कौन से रिकॉर्ड बन चुके हैं। यानी क्रिकेट ही क्रिकेट था और कुछ नहीं। इस इंटरव्यू में कैफ ने और भी बहुत सी बातें बताईं, लेकिन जो सबसे महत्वपूर्ण बात बताई, वह था अपनी सफलता का रहस्य।
कैफ ने कहा कि बचपन में पापा ने कहा था कि बेटा नाट आउट रहना लाइफ में…। बैटिंग करो, तीस ओवर के मैच थे इलाहाबाद में.. 25 ओवर 30 ओवर। ओपन करो 50 रन मारो, लेकिन आउट नहीं होना। पता नहीं क्यों, जो पहले प्लेयर्स होते थे वो नाट आउट में भरोसा करते थे। रन चाहे कम मारो, लेकिन आउट न हो। नाट आउट। यह बड़ी बात थी।
कैफ ने सन 2000 में टेस्ट मैचों और एक दिवसीय अंतरराष्ट्रीय दोनों में भारत के लिए अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में पदार्पण किया। उन्होंने अपनी शानदार फील्डिंग और सीमित ओवरों के क्रिकेट में पारी को संवारने की क्षमता के लिए जल्दी ही प्रसिद्धि प्राप्त कर ली। उन्हें अक्सर मध्यक्रम को स्थिर करने और जरूरत पड़ने पर रन गति को तेज करने की जिम्मेदारी सौंपी जाती थी।
मोहम्मद कैफ के करियर का एक मुख्य आकर्षण 2002 में लॉर्ड्स में इंग्लैंड के खिलाफ नेटवेस्ट सीरीज फाइनल के दौरान आया था। उनकी नाबाद 87 रनों की असाधारण मैच जिताऊ पारी ने भारत के 325 रनों के ऐतिहासिक लक्ष्य का पीछा करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, जिससे भारत को एक यादगार जीत हासिल करने में मदद मिली। उन्होंने युवराज सिंह के साथ एक महत्वपूर्ण साझेदारी की और उनके प्रदर्शन ने उन्हें “द नेटवेस्ट ट्रॉफी हीरोज” का उपनाम दिलाया।