प्रायद्वीपीय देश श्रीलंका क्षेत्रफल में भले ही छोटा देश हो, लेकिन क्रिकेट की प्रतिभा के मामले में वह किसी भी देश से कम नहीं है। श्रीलंका विश्व कप विजेता है। जब श्रीलंका ने 1996 में विश्व कप जीता था, उस वक्त वहां के कप्तान अर्जुन रणतुंगा थे। वह महान क्रिकेटर और कप्तान रहे हैं। उनके नेतृत्व में श्रीलंका ने क्रिकेट के विकास और सफलता की नई मिसाल कायम की थी।
एक इंटरव्यू के दौरान अपने क्रिकेट कैरियर के बारे में बताते हुए अर्जुन ने कहा कि विश्व कप प्रतियोगिता से करीब एक-डेढ़ साल पहले जब वह टीम को तैयार कर रहे थे, तब उन्होंने एक दिन तय किया कि हमें 14 ऐसे खिलाड़ी चाहिए जो सिर्फ और सिर्फ क्रिकेट के प्रति दीवानगी रखते हों, और विश्व कप जिता सकें। तब कई खिलाड़ी उन पर हंसते थे और मजाक उड़ाते थे।
रणतुंगा ने उनसे खुलकर कहा कि अगर आपको भरोसा नहीं है तो आप बाहर जा सकते हैं। इसके बाद उनके पास जो लोग बचे, उनसे उन्होंने टीम बनाई और दिन रात मेहनत की। अर्जुन ने कहा कि जब भारत 1983 में विश्व कप जीत सकता है, पाकिस्तान 1992 में जीत सकता है तो श्रीलंका क्यों नहीं जीत सकता है।
यह संकल्प लेकर वे आगे बढ़े और उनकी दृढ़ता की वजह से श्रीलंका 1996 में विश्व कप जीत लिया। अर्जुन खिलाड़ियों से कड़ी मेहनत करवाते थे। वे क्रूर बन जाते थे, लेकिन जब वह विश्व कप जीतकर आए तो हर खिलाड़ी ने उनके नेतृत्व क्षमता को सराहा।
अर्जुन एक राजनीतिक परिवार से क्रिकेट में आए थे। क्रिकेट में आने से पहले उन्होंने कुछ दिन तक एक बीमा कंपनी के लिए भी काम किया था, जहां वह पॉलिसी एजेंट के रूप में लाइफ इंस्यूरेंस पॉलिसी बेचते थे।
अर्जुन रणतुंगा अपने मजबूत व्यक्तित्व और मुखर स्वभाव के लिए जाने जाते थे। वह क्रिकेट अधिकारियों को चुनौती देने और खेल को प्रभावित करने वाले विभिन्न मुद्दों पर अपनी राय देने से नहीं डरते थे। इसके बावजूद उनके शांत और रणनीतिक दृष्टिकोण के साथ-साथ टीम को एकजुट करने और प्रेरित करने की उनकी क्षमता ने श्रीलंका की हमेशा जीत में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
मैदान पर और बाहर खिलाड़ियों, अधिकारियों और विरोधियों के साथ उनके टकराव कभी-कभी विवाद पैदा करते रहे हैं। हालांकि खेल और उनकी टीम के प्रति उनकी प्रतिबद्धता के लिए हमेशा उनका सम्मान किया जाता था।