Sourav Ganguly | Ashish Nehra | BCCI
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एक कप चाय से आशीष नेहरा को मना लेते थे सौरव गांगुली, दर्द बर्दाश्‍त करने की ताकत के थे कायल 

सौरव गांगुली जब टीम के कप्‍तान थे तो उन्‍हें अक्‍सर आशीष नेहरा के सीधे सवालों का सामना करना पड़ता था। गांगुली ने भी इनका सामना करने का एक आसान सा रास्‍ता न‍िकाल ल‍िया था। एक कप चाय।

दरअसल, जब नेहरा को प्‍लेइंग इलेवन में नहीं ल‍िया जाता था तो वह सीधे गांगुली के कमरे में आकर सवाल पूछते थे- मुझे बताओ, मैं क्‍यों नहीं खेला? गांगुली को पता होता था क‍ि यह सवाल उनके सामने आएगा। तो ज‍िस भी द‍िन नेहरा को ड्रॉप क‍िया जाता उस द‍िन मैच के बाद जैसे ही गांगुली होटल के कमरे में लौटते, दो कप चाय का ऑर्डर दे देते।

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उन्‍हें मालूम था क‍ि दस म‍िनट में नेहरा उनके पास आएंगे। और, ऐसा ही होता। आते ही नेहरा अपना सवाल दाग देते- मुझे बताओ, मैं क्‍यों नहीं खेला? गांगुली कहते- चाय पी ले। तू अगला मैच खेलेगा। चाय पी और जाकर आराम कर।

गांगुली के मन में नेहरा के ल‍िए खास इज्‍जत थी। इसकी वजह थी दर्द बर्दाश्‍त करने की नेहरा में जबरदस्‍त ताकत थी। यह बताते हुए एक इंटरव्‍यू में सौरव गांगुली ने 2003 के वर्ल्‍ड कप के एक मैच का क‍िस्‍सा सुनाया। नामीब‍िया के ख‍िलाफ मैच खेलते हुए मैदान में आशीष नेहरा को चोट लग गई थी।

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अगले द‍िन उनका एंकल पूरा सूजा हुआ था। इंग्‍लैंड मैच से पहले गांगुली ने उनसे पूछा क‍ि इस हाल में तुम खेल सकोगे? नेहरा ने फौरन जवाब द‍िया- च‍िंता की बात नहीं है, मैं खेलूंगा। उन्‍होंने कहा क‍ि बस आप फ‍िज‍ियो को कहना मेरे साथ रहे। और, नेहरा न केवल खेले, बल्‍क‍ि शानदार खेले। उन्‍होंने 50 रन ठोंक द‍िए।

इस वजह से गांगुली नेहरा की काफी इज्‍जत करते थे और उनके ताने भी सुन लेते थे। गांगुली का कहना है क‍ि वह प्‍लेइंग 11 में केवल ज‍िताने वाले ख‍िलाड़ी ही रखना चाहते थे, ड्रॉ कराने वाले नहीं। वह ख‍िलाड़‍ियों की संभावनाओं को भांप लेते थे, उनकी ताकत समझ लेते थे और फ‍िर उस ताकत का इस्‍तेमाल करते थे। वीरेंद्र सहवाग से ओपन‍िंंग कराना या महेंद्र स‍िंंह धौनी को तीसरे नंबर पर खेलाना उनकी इसी रणनीत‍ि का ह‍िस्‍सा था।

धौनी में गांगुली को काफी संभावनाएं द‍िख गई थीं। वह उनकी जबरदस्‍त ताकत को पहचान गए थे। साथ ही, उन्‍हें इस बात की भी खुशी थी क‍ि पूरब से एक बढ़‍िया क्र‍िकेटर आया है। पहले तो पूर्वी भारत से क्र‍िकेटर ही काफी कम आते थे, लेक‍िन सौरव गांगुली और महेंद्र स‍िंंह धौनी पूरब के ऐसे ख‍िलाड़ी हुए जो टीम इंड‍िया के कप्‍तान बने।

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धौनी जब 2004 में आए थे तो शुरू के दो मैच में उन्‍होंने सातवें नंबर पर बैट‍िंंग की थी। व‍िशाखापट्टनम में जब पाक‍िस्‍तान के ख‍िलाफ मैच था तो एक रात पहले जब टीम मीट‍िंग हो गई, प्‍लेइंग 11 तय हो गया, उसके बाद सौरव गांगुली अपने कमरे में टीवी देख रहे थे। जो तय हुआ था, उसके मुताब‍िक धौनी को सात नंबर पर ही बैट‍िंग के ल‍िए उतरना था। लेक‍िन, गांगुली ने अचानक सोचा क‍ि इस लड़के में बहुत दम है और इसे प्‍लेयर कैसे बनाया जाए?

सुबह वॉर्म अप हुआ, टॉस हुआ, भारत ने बल्‍लेबाजी ली। टॉस से लौटते हुए अचानक गांगुली के द‍िमाग में आया क‍ि इसका (धौनी) ऑर्डर चेंज करते हैं। उन्‍होंने धौनी से कहा- तुम तीसरे नंबर पर बैट‍िंग करना। मैं चार पर खेल लूंगा। धौनी पहली बार तीसरे नंबर पर खेले और 170 रन बना ल‍िए।

वेंकट नटराजन खेल पत्रकार हैं। क्रिकेट में इनकी ना केवल रुचि है, बल्कि यह क्रिकेट के अच्छे खिलाड़ी भी रह चुके हैं। क्रिकेट से जुड़े क़िस्से लिखने के अलावा वेंकट क्रिकेट Match Live Update, Cricket News in Hindi कवर करने में भी माहिर हैं।