क्रिकेटर सौरव गांगुली की जिंदगी में कई ऐसी घटनाएं हुई हैं, जो बेहद रोचक और जानने योग्य हैं। अपनी ऑटोबॉयग्राफी में सौरव ने ऐसी कई घटनाओं का विस्तार से जिक्र किया है। उनका पाकिस्तान दौरे का एक किस्सा बहुत मशहूर है। 2004 में टीम इंडिया के कप्तान थे। लाहौर के जिस प्रसिद्ध पर्ल कॉन्टिनेंटल होटल में टीम रुकी थी, वहां जबरदस्त सुरक्षा व्यवस्था की गई थी। खिलाड़ी हर वक्त सुरक्षाकर्मियों के घेरे में रहते थे।
लाहौर के होटल में किलेबंदी जैसी सुरक्षा व्यवस्था की गई थी
सौरव लिखते हैं, “मैंने कई बार पाकिस्तान का दौरा किया है लेकिन 2004 में हमारे लिए जो सुरक्षा व्यवस्था की गई थी वह सबसे कड़ी थी जो मैंने कभी देखी। मैंने हमेशा सोचा था कि लिबरेशन टाइगर्स ऑफ़ तमिल ईलम की वजह से श्रीलंकाई लोगों ने हमें अधिकतम सुरक्षा दी है, लेकिन लाहौर का प्रसिद्ध पर्ल कॉन्टिनेंटल होटल, जहां हमने चेक इन किया था, एक किले जैसा महसूस हुआ।”
पाकिस्तान को पराजित करने की खुशी अपना चोट भूल गया था
उन्होंने लिखा, “क्या आप इस पर विश्वास कर सकते हैं – मैं, भारतीय कप्तान, एक दिन आधी रात के बाद अपने दोस्तों के साथ कुछ रोमांच के लिए वहां से भाग निकला। मुझे पता था कि मैं नियम तोड़ रहा हूं, सुरक्षा कोड का उल्लंघन कर रहा था, लेकिन मुझे लगा कि मुझे राइफलों और टैंकों से दूर जाना होगा। हमने पाकिस्तान में ऐतिहासिक वनडे सीरीज जीती थी, पहली बार पाकिस्तान ने अपनी धरती पर हमसे सीरीज हारी थी। मैं मैदान पर कैच पकड़ने की कोशिश में बुरी तरह घायल हो गया था और मैच के बाद डॉक्टर ने मुझे तीन हफ्ते आराम करने को कहा था। लेकिन उस रात मैं इतने खुशमिजाज मूड में था कि मैंने चोट की गंभीरता को नजरअंदाज कर दिया। मेरे कुछ प्यारे दोस्त कोलकाता से सीरीज का निर्णायक मैच देखने आए थे। मैं उन्हें देखकर अत्यंत प्रसन्न हुआ।”
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सौरव बताते हैं कि ठीक आधी रात के बाद मुझे पता चला कि मेरे दोस्त कबाब और विदेशी तंदूरी डिश के लिए उपमहाद्वीप के सबसे प्रतिष्ठित फूड स्ट्रीट जाने की योजना बना रहे थे। यह क्षेत्र गवलमंडी (Gawalmandi) के नाम से मशहूर है। मैंने भी साथ जाने का फैसला किया। मैंने अपने सुरक्षा अधिकारी को सूचित करने की हिम्मत नहीं की क्योंकि मुझे पता था कि वह मुझे जाने से रोकेगा। मैंने केवल टीम मैनेजर रत्नाकर शेट्टी को बताया। मैं आधे चेहरे को ढकने वाली टोपी पहनकर चुपचाप पीछे के दरवाजे से निकल गया। मेरे साथियों को भी नहीं पता था कि मैं बिना किसी सुरक्षा के बाहर गया हूं। फूड स्ट्रीट खुली जगह है जहां आपको हमेशा पहचाने जाने का खतरा रहता है। मैंने इस तरह के खतरों का मुकाबला करने के लिए अपना फॉर्मूला तैयार किया था। इस दौरान कई लोग मुझे पहचान गये। किसी ने उत्साह से पूछा- ‘अरे, आप सौरव गांगुली हो ना?’ मैंने थोड़े संयत स्वर में नहीं कहा।
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हम अपना खाना खत्म करने ही वाले थे कि तभी कुछ गज की दूरी पर पत्रकार राजदीप सरदेसाई की नजर मुझ पर पड़ी। वह तत्कालीन भारतीय सूचना और प्रसारण मंत्री रविशंकर प्रसाद के साथ रात्रि भोज कर रहे थे। जैसे ही राजदीप ने मुझे देखा, बोले- सौरव, सौरव। मुझे पता था कि मैं मुश्किल में हूं। इस बीच मंत्री के सुरक्षाकर्मी मुझे उनकी टेबल तक ले जाने के लिए आ गए। कुछ ही मिनटों में यह खबर जंगल की आग की तरह फैल गई कि भारतीय कप्तान फूड स्ट्रीट में हैं। लोगों का आना शुरू हो गया और मुझे घेर लिया गया। मुझे नहीं पता था कि स्थिति इतनी जल्दी नियंत्रण से बाहर हो जाएगी।
सौरव बताते हैं कि बहरहाल किसी तरह होटल पहुंचे। अगल सुबह मैंने अपने नाइट आउट के बारे में टीम मैनेजर को बताया। मैं यह नहीं कह सकता कि वह बहुत खुश थे। मैं अपने कमरे में वापस चला गया और फोन बज उठा। फोन राष्ट्रपति मुशर्रफ के कार्यालय से था। फोन पर आवाज ने कहा कि राष्ट्रपति मुझसे बात करना चाहते हैं। मैं घबड़ाया था। ऐसा क्या हुआ कि पाकिस्तान के राष्ट्रपति ने भारतीय कप्तान को फोन किया। राष्ट्रपति मुशर्रफ विनम्र लेकिन दृढ़ थे। उन्होंने कहा, “अगली बार जब आप बाहर जाना चाहें तो कृपया सुरक्षा को सूचित करें और हम आपके साथ उनको भेजेंगे, लेकिन कृपया जोखिम न लें।”