Sourav Ganguly As A Person: सौरव गांगुली (Sourav Ganguly) एक खिलाड़ी के रूप में जितना उत्साहित रहते हैं, अपनी निजी जिंदगी में वे उतने ही शर्मीले रहे हैं। क्रिकेटर के रूप में पहचान पाने और अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में जगह पाने के बाद काफी समय तक सौरव गांगुली अपने शर्मीले स्वभाव की वजह से परेशानियां भी झेली हैं। अपनी बायोग्राफी ‘ए सेंचुरी इज़ नॉट इनफ’ में गांगुली ने 1992 के आस्ट्रेलिया दौरे के अपने मजेदार किस्से का जिक्र किया है।
Sourav Ganguly As A Person: तब गांगुली अंतरराष्ट्रीय मैच में प्रवेश ही किए थे और वेंगसरकर काफी सीनियर थे
किताब में गांगुली बताते हैं, “1992 में आस्ट्रेलिया दौरे के दौरान मैं टीम में नया-नया था। उस दौरान सभी खिलाड़ी काफी सीनियर थे। हम पर्थ के शेरेटन होटल में चेक इन किए। मैं दिलीप वेंगसरकर का रूममेट था। उस समय तक मैंने केवल कुछ ही प्रथम श्रेणी मैच खेले थे और जबकि वेंगसरकर एक पूर्व भारतीय कप्तान थे, जिन्होंने 100 से अधिक टेस्ट मैच खेले थे।”
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सौरव ने कहा, “मैं वेंगसरकर से इतना प्रभावित था कि मैं मुश्किल से उनके सामने अपना मुंह खोल पाता था। मैं हर वक्त डरा रहता था। मैंने ऐसा कुछ नहीं किया जिससे वह नाराज़ या विचलित हों। असल में मैं उनसे इतना शर्माता था कि जितना हो सके, कमरे से दूर ही रहता था। इस वजह से मैं अक्सर देर रात कमरे में पहुंचता था।”
गांगुली ने बताया, “वेंगसरकर को उत्सुकता हुई कि मैं कहां रहता हूं। एक दिन उन्होंने मुझसे पूछ लिया, तुम शाम को कहां जाते हो? लेकिन मैंने उन्हें सच नहीं बताया कि मैं उनके साथ अकेले रहने में अतिसंकोची हो गया हूं।”
भारतीय क्रिकेट टीम के कप्तान रहे सौरव गांगुली काफी पेशेवर और जल्दी हार नहीं मानने वाले इंसान के रूप में जाने जाते हैं। वह विपक्षी टीम के सामने अंतिम बाल तक लड़ाई लड़ने और जूझने के लिए तैयार रहते हैं। अपने बारे में उनका मानना है कि हालात कभी ऊपर और कभी नीचे होते हैं, लेकिन वे खुद पर नियंत्रण रखते हैं। अच्छे दिनों में भावनाओं में नहीं बहते हैं और बुरे दिनों में टूटते नहीं है।