Site icon Cricketiya

Sanju Samson And Father’s Sacrifice: संजू का टीम इंडिया में चयन हुआ तो खुशी मारे स्कूल में छुट्टी हो गई, संजू सैमसन के लिए पिता ने छोड़ दी थी सरकारी नौकरी

Sanju Samson And Father's Sacrifice:

Sanju Samson And Father's Sacrifice: टीम इंडिया और आईपीएल के खिलाड़ी संजू सैमसन। (फोटो- फेसबुक)

Sanju Samson And Father’s Sacrifice: क्रिकेटर संजू सैमसन को खाने-पीने का बहुत शौक है। केरल का खाना उन्हें बहुत ज्यादा पसंद है। समुद्री मछली के वे दीवाने हैं। केरल में उनका घर समुद्र तट के पास ही है। तो सुबह-सुबह ताजी मछलियां मंगवा के उनकी मां उनकी पसंद की डिशेज बनाती हैं। महीने में एक दिन ऐसा होता है जब संजू वजन और क‍िसी चीज की चिंता क‍िए ब‍िना जम कर खाते हैं। द‍िल्‍ली के खाने में उन्‍हें आलू पराठा और छोले-भटूरे बेहद पसंद हैं। वैसे, उन्‍हें घर का खाना ही पसंद है।

संजू सैमसन राहुल द्रव‍िड़ से काफी प्रेर‍ित हैं। जब राहुल द्रव‍िड़ डेल्‍ही डेयरडेव‍िल्‍स के कोच थे तो उन द‍िनों संजू की उनसे अक्‍सर बात होती थी। और संजू कमरे में आने के बाद हर बातचीत को डायरी में नोट कर रखते थे। ऐसा इसल‍िए भी क्‍योंक‍ि संजू को भूलने की आदत है।

Sanju Samson And Father’s Sacrifice: छह-सात साल की उम्र में पिता संजू को कोटला मैदान प्रैक्‍ट‍िस के ल‍िए ले जाते थे

द‍िल्‍ली में वह कई साल रहे। नीतीश राणा के साथ ही खेलते थे वह। उनके प‍िता द‍िल्‍ली में पुल‍िस में काम करते थे। छह-सात साल की उम्र में वह संजू को फ‍िरोज शाह कोटला मैदान प्रैक्‍ट‍िस कराने के ल‍िए ले जाते थे। लेक‍िन यहां गलाकाट प्रत‍ियोग‍िता देख कर एक द‍िन अचानक उन्‍होंने फैसला ले ल‍िया क‍ि बच्‍चों को द‍िल्‍ली में नहीं रखना। उन्‍हें केरल वापस भेजना है।

संजू की मां ने उनके प‍िता को रोकने की भी कोश‍िश की। कहा- ऐसे बीच सेशन में चले जाएंगे तो वहां स्‍कूल में दाख‍िला कहां होगा। लेक‍िन, उन्‍होंने एक न सुनी। ट्रेन में सवार होकर संजू केरल पहुंच गए। वहां दो-तीन महीने हर स्‍कूल की खाक छानी। सबने एडम‍िशन के ल‍िए मना कर द‍िया। अंतत: सेंट जोसेफ स्‍कूल में क‍िसी तरह दाख‍िला म‍िला।

Also Read: भारत-आस्ट्रेलिया सीरीज में इस खिलाड़ी की जगह संजू सैमसन कर सकते हैं कमाल, पूर्व भारतीय ओपनर ने की वकालत

केरल जाकर भी जब क्र‍िकेट के मामले में संजू की बात कुछ खास नहीं बन पा रही थी तो उनके प‍िता ने नौकरी से र‍िटायरमेंट ले ल‍िया और खुद भी केरल रहने चले गए। उसके बाद सुबह-शाम प्रैक्‍ट‍िस के ल‍िए ले जाना, बाइक पर यहां-वहां ले जाना। संजू ने माता-प‍िता का संघर्ष और त्‍याग देख कर तय क‍िया क‍ि अब तो क्रि‍केट खेलना ही है। और खेला भी।

लेक‍िन, एक वक्‍त ऐसा भी रहा क‍ि केरल की टीम में भी उन्‍हें नहीं ल‍िया गया। इससे हताशा और गुस्‍सा इतना भड़का क‍ि उन्‍होंने बैट फेंक कर खुद से कहा क‍ि अब नहीं खेलना, छोड़ कर जा रहा हूं। दरअसल, पांच साल तक वह टीम से बाहर रहे। हालांक‍ि, बाद में उन्‍हें बहुत अफसोस भी हुआ, क्‍योंक‍ि वह बैट बहुत सुंदर था और बैट टूट गया था।

संजू का 19 साल की उम्र में टीम इंड‍िया के ल‍िए चयन हुआ था। ज‍िस द‍िन यह ऐलान हुआ, उसके अगले द‍िन भी वह कॉलेज गए। वहां उनका हीरो जैसा स्‍वागत हुआ और प्र‍िंंसिपल ने खुशी में उस द‍िन कॉलेज में छट्टी की घोषणा कर दी थी।

Exit mobile version