Saika Ishaque struggle made cricketer: साइका इशाक (Saika Ishaque) का जीवन शुरू से ही संघर्ष से भरा रहा। वह कोलकाता में पार्क सर्कस की झोपड़पट्टी में रहा करती थी। मां दूसरों के घर काम कर किसी तरह खाने का इंतजाम कर देती थीं। पढ़ाई के पैसे पूरे नहीं होते थे। साइका पढ़ नहीं सकी। क्रिकेट में किस्मत आजमाया तो परिवार की माली हालत थोड़ी सुधरी, लेकिन संघर्ष अभी खत्म नहीं हुआ था।
2018 में पिता की मौत हो गई। खुद साइका को भी कंधे में चोट लग गई। बंगाल सीनियर टीम से बाहर होना पड़ा। तीन साल तक बंगाल की टीम में जगह नहीं मिली। उसके बाद कोरोना आ गया। उसने मन बना लिया था कि क्रिकेट छोड़ देना है।
Saika Ishaque struggle made cricketer: पूर्व क्रिकेटर मीठू मुखर्जी से बात के बाद बदल गया विचार
2020 में दुर्गा पूजा का वक्त था। साइका ने टीम इंडिया की पूर्व क्रिकेटर मीठू मुखर्जी को फोन किया। करीब एक घंटा लंबी बात चली। साइका ने कहा- दीदी, मैं क्रिकेट छोड़ दूंगी। इधर कुछ हो नहीं रहा। मीठू ने उनसे पूछा कि तुम्हें क्रिकेट के अलावा आता ही क्या है? साइका के पास इस सवाल का कोई जवाब नहीं था। पर, इस सवाल ने उन्हें अपने फैसले पर फिर से सोचने के लिए मजबूर कर दिया।
इस बीच, मीठू ने भी साइका के लिए कुछ करने की कोशिश की। उन्होंने बंगाल के अंडर 19 क्रिकेटर शिवसागर सिंह से बात की और साइका को उनसे मिलने के लिए कहा। शिवसागर ने अपने तरीके से साइका के खेल में धार पैदा की।
तीन महीने में ही साइका को बंगाल सीनियर टीम में जगह मिल गई और 2023 आते ही मुंबई इंडियंस ने उन्हें दस लाख देकर अपनी टीम में ले लिया। अपनी लगन, मेहनत और शिवसागर सिंंह के सिखाए गुर के दम पर साइका ने डब्ल्यूपीएल में अपना सिक्का जमा लिया।
साइका इशाक वह क्रिकेटर हैं जिन्होंने पहले ही वूमन प्रीमियर लीग (डब्ल्यूबीएल, WPL2023 ) में अपनी धाक जमा दी। मुंबई इंडियंंस की ओर से खेलते हुए उन्होंने नौ मैचों में 15 विकेट ले लिए और टीम के फाइनल तक के सफर में अपना अहम योगदान दिया। टूर्नामेंट में यहां तक के सफर में उनसे ज्यादा विकेट केवल एक ही खिलाड़ी (यूपी वॉरियर्ज की सोफी एक्लेस्टोन) ले पाई थीं।