Saeed Ajmal: पाकिस्तान एक ऐसा मुल्क है, जहां क्रिकेट भारत की ही तरह काफी लोकप्रिय खेल है। पूरे पाकिस्तान में क्रिकेट खेला जाता है, इसके बावजूद वहां खिलाड़ियों पर पैसे काफी कम खर्च किये जाते हैं। इससे खिलाड़ियों का स्वाभाविक रूप से खेल पाने में परेशानियां आती हैं। खिलाड़ियों के सामने आर्थिक संकट एक बड़ी बाधा है।
सईद अजमल ने पॉडकॉस्ट The Ultra Edge में रोहा नदीम (Roha Nadeem) से बात करते हुए अपने बारे में एक किस्सा बताया। उन्होंने कहा कि खिलाड़ियों को कम पैसे मिलने से घर वाले भी क्रिकेट को ज्यादा तवज्जो नहीं देते थे। इसकी वजह से दोहरा संघर्ष करना पड़ता था।
पाकिस्तान के पूर्व गेंदबाज सईद अजमल (Saeed Ajmal) का कहना है कि उनके समय में प्रथम श्रेणी क्रिकेट खेलने वाला खिलाड़ी भी 500 रुपये डेली एलाउंस और चार हजार रुपये मैच फीस पाता था। इसके पहले तो स्थितियां और भी खराब थी। तब 50 रुपये डेली एलाउंस था और मैच फीस कुछ भी नहीं थी।
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बहरहाल जब सईद अजमल खेल रहे थे, तब घर वालों ने साफ-साफ कह दिया था कि अपना खर्चा खुद ही संभालो। उस दौरान सईद ने पाकिस्तान स्टेट इंश्योरेंस में एजेंट के तौर पर पार्ट टाइम जुड़ गये थे। इससे उन्हें कोई बीमा कराने पर कुछ पैसे मिल जाते थे। हालांकि दिक्कतें तब भी दूर नहीं हुई थीं। इसके बाद उन्होंने खान रिसर्च लेबोरेटरीज (KRL) से संपर्क साधा और वहां पर चार हजार रुपये की नौकरी पा गये। साथ ही उनके लिए खेलने लगे। इससे उनके हालात में कुछ सुधार हुआ।
कुछ मैचों में वे अच्छा खेले। फैसलाबाद के लिए भी खेले, प्रथम श्रेणी मैचों में वह टॉप किये, लेकिन इन सब चक्कर में उनकी उम्र हो गई 28 साल की। तब तक वह राष्ट्रीय टीम में नहीं आ सके थे। एक दो चक्कर इंग्लैंड गये और वहां पर लीग मैच खेलने का मौका मिला। उसमें ठीक-ठाक पैसे मिल जाते थे। हालांकि उनके पिता नाराज थे और क्रिकेट छोड़ने की बात कह रहे थे। उस वक्त सईद की शादी भी हो गई थी और उनकी जिम्मेदारियां भी बढ़ गई थी।
सईद ने अपने पिता से वादा किया कि वह क्रिकेट में कुछ करके दिखाएंगे और उसके पीछे लग गये तो फिर करके ही निकले। उन्हें राष्ट्रीय टीम मेंं खेलने का मौका मिला।