सचिन तेंदुलकर जब बहुत छोटे थे, तब से उनको कुछ चीजें अपने मन की करने की आदत है। उसमें वह किसी का भी हस्तक्षेप पसंद नहीं करते हैं। क्रिकेट के खेल में जब वह स्कूल लेवल पर चर्चित हुए तो उनका नाम फैलना शुरू हुआ। क्रिकेट में देश की शीर्ष हस्तियों ने उनके बारे में सुना। तब सचिन ने कहा कि एक समय ऐसा लगा कि लोग मुझसे मेरी क्षमता से ज्यादा उम्मीद कर रहे हैं।
ब्रेबोर्न स्टेडियम में तीन सौ रन बनाने को बताई जिंदगी का महत्वपूर्ण इनिंग्स
यूट्यूब प्रोग्राम ब्रेकफास्ट विथ चैंपियन में नीरव घोष से बात करते हुए सचिन तेंदुलकर ने कई रोचक सीक्रेट्स को लोगों के सामने जाहिर किया। उन्होंने बताया कि ब्रेबोर्न स्टेडियम में तीन सौ रन बनाना मेरी जिंदगी का बहुत महत्वपूर्ण इनिंग्स था। क्योंकि मि. गावस्कर, वेंगसरकर, राजसिंह डुंगरपुर भाई ये सभी बड़े लोग मुझे दखने आये।
पहली बार अंतरराष्ट्रीय इनिंग्स खेलने पर डिसकरेज फील करने लगे थे
सचिन ने कहा कि दूसरी बात मेरी जिंदगी की पहली इनिंग्स, जो कराची में थी, मुझे लगा कि यह मेरी जिंदगी की पहली और अंतिम इनिंग्स है। और इसके बाद कुछ नहीं होने वाला है। मैं इस स्टैंडर्ड पर खेलने के लायक नहीं हूं। पहले मैच में कुछ भी पता नहीं था। मैं नहीं समझ सका कि क्या होने वाला है।
एक तरफ से वकार यूनिस बालिंग कर रहे थे, वसीम अकरम दूसरी तरफ से पूरे जोर से बालिंग कर रहे थे। मैं नहीं जानता था कि क्या करना है। और वह बाल भी रिवर्स स्विंगिंग था।
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अचानक वहां पर जाकर खेलने का मेरे पास कोई आइडिया नहीं था। मैं बिल्कुल अंजान था। मैं ड्रेसिंग रूम यह सोचते हुए आया कि यह मेरे वश की बात नहीं है। फिर मैंने ड्रेसिंग रूम के अंदर बहुत से साथियों से बात की। वहां आम तौर पर सबका कहना था कि पूरा टाइम दो। तुरंत हावी मत हो जाओ।
यह मत सोचो कि वहां पहुंचते ही पहले बाल से मारना शुरू हो जाओ। यह अंतरराष्ट्रीय मैच है। और संभव है कि आप दुनिया के सबसे अच्छे बालिंग अटैक का सामना कर रहे हैं।
सचिन बोले- इसके बाद मेरा विचार बदल गया और मैं खेलने लगा। पैनिक मन से निकल गया और मैं अपने फॉर्म में आ गया। मुझे लगा कि स्कूली खेल से अंतरराष्ट्रीय मैच एकदम अलग होता है तो सोच भी उसी तरह की रखनी होगी।