जन्मजात बीमार और सुनने की समस्या से पीड़ित थे रे प्राइस, नेशनल टीम में आए तो विरोधियों के छक्के छुड़ा दिये, ऐसा था उनका संघर्ष गाथा
रे प्राइस (Ray Price)। क्रिकेट में आज लाखों करोड़ों लोगों के दिलों पर राज करने वाले कई खिलाड़ी कभी ऐसी जिंदगी जी रहे थे, जिन्हें पड़ोसी भी नहीं पहचानते थे। हालांकि संघर्ष करके ऊंचाइयों को छूने वाले इन क्रिकेटरों ने जो उपलब्धियां हासिल की है, उसको बनाए रखने के लिए भी उन्हें बहुत मेहनत करनी पड़ती है।
टेस्ट क्रिकेट खेलने वाले देशों में बहुत बाद में टेस्ट का दर्जा पाने वाला जिम्बाब्वे के पास ऐसे कई खिलाड़ी रहे हैं, जिनकी चमक पर उनका देश नाज कर रहा है। रेमंड विलियम प्राइस उर्फ रे प्राइस (Ray Price) दुनिया के बाएं हाथ के स्पिनर गेंदबाज रहे हैं और अपने समय में वह दुनिया के लीडिंग क्रिकेटर थे।
जब उनका जन्म हुआ था, तब उनको कुछ शारीरिक दिक्कते थीं। डॉक्टरों ने कहा कि वे बच नहीं पाएंगे। उनको मेनिंजाइटिस हो गया। इसकी वजह से वे सुन भी नहीं पाते थे। तमाम दिक्कतों और संघर्षों के बावजूद जब उनका डॉक्टरों ने ऑपरेशन किया तो वे ठीक हो गये।
इन सबके चक्कर में उनका लालन-पोषण उनकी उम्र के अन्य बच्चों से दूर में हुआ। इससे वह अपने हमउम्र दोस्तों में काफी पीछे थे। इसकी वजह से उनको अपमान सहने पड़े। गरीबी के चलते उन्होंने कुछ दिन तक एक इलेक्ट्रानिक कारखाने में एयरकंडीशन की मरम्मत का काम भी किया। इसके अलावा वह सफाई कर्मी के रूप में भी अपनी जीविका के लिए काम किये।
जब उन्होंने क्रिकेट को खेलते हुए अपने मोहल्ले, अपने शहर और अपने राज्य से आगे अपनी राह बनाई तब उन्हें पहचान मिलनी शुरू हुई। जब वह अपने देश के लिए खेलना शुरू किये तो कई लोगों ने उन्हें बाहर कराने के लिए उनके पीछे पड़ गये। हालांकि रे प्राइस मजबूत और धैर्यशाली क्रिकेटर थे, इसलिए वे डिगे नहीं। धीरे-धीरे आगे बढ़े और अंतरराष्ट्रीय टूर्नामेंट में विरोधी टीम के छक्के छुड़ा दिये