Ravindra Jadeja : भारत-ऑस्ट्रेलिया सीरीज के नागपुर में पहले टेस्ट के दौरान उंगली पर मरहम लगाने के लिए रवींद्र जडेजा का नाम खूब चर्चा में रहा- इसे ऑस्ट्रेलिया की तरफ से बॉल टेंपरिंग का केस बनाने की पूरी कोशिश की गई पर आईसीसी ने जडेजा पर, अंपायरों को इस बारे में न बताने के लिए तो जुर्माना लगाया (मैच फीस का 25%) पर गेंद से छेड़छाड़ के मामले में क्लीन चिट दे दी।
आईसीसी की रिपोर्ट में लिखा है- क्रीम को गेंद पर आर्टिफिशियल सब्सटेंस के तौर पर नहीं लगाया था और इसने गेंद की कंडीशन में बदलाव नहीं किया। जडेजा ने अपनी गलती मानी और ये मामला यहीं खत्म।
इस चर्चा में, भारतीय क्रिकेट में ऐसे ही गेंद पर आर्टिफिशियल सब्सटेंस के तौर पर क्रीम लगाने के आरोप का एक किस्सा याद आ गया और सच ये कि वह मामला आज तक खत्म नहीं हुआ है- किसी ने गलती नहीं मानी, किसी ने क्लीन चिट नहीं दी पर सजा उसे मिली जिसने इस बारे में बताया।
इससे पहले भारत इंग्लैंड के बीच टेस्ट मैच के तीसरे दिन ग्राउंड अंपायर में से एक रूबन ने कहा- ‘मैंने गेंदबाज के रन-अप पर एक जालीदार पट्टी पड़ी देखी, उठाया तो देखा कि उस पर एक चिपचिपा पदार्थ लगा था। जब इस बारे में टोनी ग्रेग को बताया तो वे बोले कि यह वैसलीन है, जिसे गेंदबाजों ने पसीने को अपनी आंखों में जाने से रोकने के लिए इस्तेमाल किया।’
भारत के कप्तान बिशन बेदी ने सीधे इंग्लैंड की नई गेंद की जोड़ी लीवर और बॉब विलिस पर बॉल टेंपरिंग (गेंद से छेड़छाड़) का आरोप लगा दिया। अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में पहली बार ऐसे आरोप लगे थे। इस पूरी क्रिकेट की दुनिया में इस पर सनसनी फैल गई।
इंग्लैंड ने आरोप को गलत बताया। वह पट्टी, जो रुबन ने उठाई थी- उसे जांच के लिए मद्रास की एक फोरेंसिक लैब को भेज दिया। लैब ने क्या रिपोर्ट दी- कोई नहीं जानता। कई साल बाद अंपायर रूबन ने एक इंटरव्यू में कहा- ‘मैं मानता हूं कि ऐसा नहीं होना चाहिए था, लेकिन हुआ, और हम इसके बारे में ज्यादा कुछ नहीं कर सकते थे।’