Ravichandran Injury And Fast Bowling | Fast Bowling |
Stories

Ravichandran Injury And Fast Bowling: पहली बार मिला था बड़ा मैच खेलने का मौका तो टूट गई हड्डी, साथ ही टूटा मां का सपना, जानिये पूरा किस्सा

Ravichandran Injury And Fast Bowling: रविचंद्रन अश्विन बहुत कम उम्र में ही क्रिकेट में अपने हाथ-पांव चलाने लगे थे। हालांकि तब उनका बचपना था और उस वक्त उन्हें कोई गाइड करने वाला नहीं था। अपने स्तर से अश्विन काफी मेहनत करते थे, लेकिन ठीक से कुछ नतीजा नहीं दिख रहा था। इन सबके बावजूद अश्विन खेलना नहीं बंद किये और लगातार खेलते रहे। इससे लोग उन्हें जानने लगे। उन्‍हें अंडर-14 में कर्नाटक की ओर से चेन्नई में एक मैच खेलने का चांस म‍िला। यह चांस बड़ा था, लेकिन यहां उनके साथ दुर्भाग्य था। वह यहां कुछ ढंग से खेल नहीं पाए, लेकिन उनके जांघ के बगल में बड़ी चोट जरूर लग गई।

Ravichandran Injury And Fast Bowling: मां परेशान थी कि अश्विन नहीं बन पाएगा क्रिकेटर 

चोट के चलते अश्‍व‍िन का चलना-फ‍िरना मुश्‍क‍िल हो गया था। डॉक्‍टर ने सर्जरी बता दी। वह भी दो-दो बार। एक तो तुरंत और दूसरा करीब चार साल बाद। 1999 में ढाई लाख का खर्चा था। खर्च की ज्‍यादा च‍िंंता नहीं थी, क्‍योंक‍ि अश्‍व‍िन की मां ज‍िस कंपनी में काम करती थीं वहां इलाज का पूरा खर्च म‍िल जाने का इंतजाम था। लेक‍िन, च‍िंंता कुछ और थी। क्‍या अश्‍व‍िन क्र‍िकेट खेल पाएगा?

Also Read: Sanath Jayasuriya’s Three Wives : 1 नहीं 3 महिलाओं से कीं शादियां, संभल नहीं पाईं 1 भी, जानिये सनथ जयसूर्या की निजी जिंदगी के किस्से

यह सवाल अश्‍व‍िन की मां को परेशान कर रहा था। इस परेशानी में ही वह कंपनी से मेड‍िकल खर्च लेने के ल‍िए कागजी औपचार‍िकताएं पूरी कर रही थीं। उस दौरान उनकी आंखों से आंसू न‍िकल आए। वह थोड़ा जोर से रो पड़ी थीं। उनके रोने की आवाज बगल में बैठे रीजनल सेल्‍स मैनेजर ने सुनी।

वह रोते हुए उनके पास आए। उन्‍होंने पूछा क्‍या हुआ तो अश्‍व‍िन की मां ने बताया- मैंने छह साल की उम्र से अपने बेटे को क्र‍िकेट खेलते देखा है। और अब मुझे लग रहा है क‍ि उसका सपना पूरा होने से पहले ही टूट गया। यह सुन कर मैनेजर ने उन्‍हें हौंसला द‍िया और अपने र‍िश्‍तेदार डॉक्‍टर गोपालकृष्‍णन से म‍िलने की भी सलाह दी।

डॉ. गोपालकृष्‍णन अपोलो हॉस्‍प‍िटल में काम करते थे। जब अश्‍व‍िन के माता-प‍िता उनसे म‍िलने गए तो पता चला क‍ि वह तम‍िलनाडु क्र‍िकेट टीम के भी डॉक्‍टर थे। उन्‍होंने अश्‍व‍िन को देखा और ब‍िना सर्जरी के ठीक होने की उम्‍मीद जताई। उन्‍होंने कहा क‍ि आठ हफ्ता पूरा बेड रेस्‍ट कराइए। फ‍िर एमआरआई कराएंगे।

आठ महीने बीते और एमआरआई हुआ तो अश्‍व‍िन की समस्‍या ठीक हो रही थी। करीब एक साल बाद वह ब‍िना सर्जरी के फ‍िर से मैदान पर उतरने लायक हुए। लेक‍िन, तेज बोल‍िंंग नहीं कर सके तो वह ऑफ स्‍प‍िनर बन गए।

वेंकट नटराजन खेल पत्रकार हैं। क्रिकेट में इनकी ना केवल रुचि है, बल्कि यह क्रिकेट के अच्छे खिलाड़ी भी रह चुके हैं। क्रिकेट से जुड़े क़िस्से लिखने के अलावा वेंकट क्रिकेट Match Live Update, Cricket News in Hindi कवर करने में भी माहिर हैं।