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खलील अहमद को अकेडमी जाने से पहले यह अंदाज नहीं था क‍ि क्र‍िकेट जूते पहन कर खेलते हैं

खलील अहमद (Khaleel Ahmed)। राजस्‍थान की छोटी सी जगह टोंक से न‍िकला एक क्र‍िकेटर। प‍िता कंपाउंडर। बेटे के क्र‍िकेट खेलने के सख्‍त ख‍िलाफ। चाहते थे बेटा डॉक्‍टर बने। लेक‍िन बेटे को ज‍िद थी क्र‍िकेट खेलने की, क्‍योंक‍ि क्र‍िकेट से प्‍यार था। स्‍कूल से तीन बजे दोपहर आता और बस्‍ता रखते ही खेलने न‍िकल जाता। प‍िता से छुपते-छुपाते। लेक‍िन, जब लौटते तब तक प‍िता को पता चल चुका होता था। बहनें कभी-कभी प‍िता के गुस्‍से से बचा लेती थीं। कई बार बहनें कामयाब नहीं भी हो पाती थीं।

खलील चार भाई-बहनों में सबसे छोटे हैं। तीन बहनें बड़ी हैं। इसल‍िए उन्‍हें घर का काम भी ज्‍यादा करना पड़ता था। खेलने के ल‍िए चार घंटे के ल‍िए न‍िकल जाते थे। उस बीच घर का कोई काम आता तो खलील की कमी खलती थी और कई बार उन्‍हें इसका खाम‍ियाजा भी भुगतना पड़ता था। घर का काम करते हुए स्‍कूल जाना और क्र‍िकेट खेलना। बड़ी परेशानी होती थी।

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राजस्‍थान में जून की गर्मी में खेल-खेल कर खलील काले हो गए थे। एक बार क‍िसी सर्ट‍िफ‍िकेट के ल‍िए उन्‍होंने ब्‍लैक एंड व्‍हाइट फोटो ख‍िंचवाई थी। वह कहते हैं उनकी ब्‍लैक एंड व्‍हाइट फोटो उनकी काली टीशर्ट जैसी ही द‍िखती थी।

खलील हर जुमे को मैच खेलने जाते थे। जब वह अपनी टोली में खेलने जाते थे तो सारे लड़के बैट‍िंंग करने के ल‍िए ही झगड़ते थे। खलील ने इसका रास्‍ता सुझाया और कहा क‍ि मैं आउट करता जाता हूं, तुम लोग बैट‍िंंग करते जाओ।

उनके दोस्‍त जब उन्‍हें खेलने के ल‍िए बुलाने घर आते थे तो प‍िता को पता नहीं चले, इसका भी एक तरीका उन्‍होंने न‍िकाला था। उन्‍होंने दोस्‍तों को कह रखा था क‍ि उन्‍हें बुलाने के ल‍िए नाम पुकारने के बजाय गाना गाया करें या एक खास कोड वर्ड बना रखा था।

शुरुआत में खलील क्र‍िकेटर बनने के मकसद से नहीं खेला करते थे। उन्‍हें शौक था, इसल‍िए खेलते थे। लेक‍िन, जब उन्‍होंने लेदर बॉल से क्र‍िकेट खेलना शुरू क‍िया तो उन्‍हें लगा क‍ि वह इस खेल में कुछ कर सकते हैं।

प‍िता से छुप कर अकेडेमी गए तो पता चला क‍ि व्‍हाइट क‍िट पहन कर भी क्र‍िकेट खेलते हैं। तब तक तो वह स्‍लीपर पहन कर ही खेलते आए थे। अकेडमी में लगा क‍ि जूते पहन कर भी क्रि‍केट खेला जाता है।

पहली बार लेदर बॉल हाथ में ल‍िया तो गेंद फ‍िसलती थी। धीरे-धीरे क्र‍िकेट को जाना-समझा और लोग जब खेल की तारीफ करने लगे तो उनका हौंसला बढ़ा। बाद में प‍िता के दोस्‍तों और कोच ने जब प‍िता के सामने खेल की तारीफ की तो प‍िता भी मान गए और बेटे के क्र‍िकेटर बनने का रास्‍ता साफ होता गया।

वेंकट नटराजन खेल पत्रकार हैं। क्रिकेट में इनकी ना केवल रुचि है, बल्कि यह क्रिकेट के अच्छे खिलाड़ी भी रह चुके हैं। क्रिकेट से जुड़े क़िस्से लिखने के अलावा वेंकट क्रिकेट Match Live Update, Cricket News in Hindi कवर करने में भी माहिर हैं।