बात 2017 की है। आईपीएल के लिए नीलामी के दौरान एक नाम तेजी से बाहर उभरा। वह नाम था राशिद खान (Rashid Khan) का। यह एक ऐसा नाम था, जिससे लोग कम ही वाकिफ थे, लेकिन आईपीएल में उस नाम को सनराइजर्स हैदराबाद ने मोटी रकम के साथ खरीदा था। वह एक ऐसे खिलाड़ी का नाम था जिसका ताल्लुक अफगानिस्तान से था।
वर्षों से गृह युद्ध, आंतरिक अशांति, तालिबानी आतंकवाद और बेइंतहा गरीबी और बेकारी से ग्रस्त देश अफगानिस्तान का एक लड़का आईपीएल में चुना गया, यह आईपीएल क्रिकेट टूर्नामेंट से ज्यादा उस लड़के के लिए खास था। अफगानिस्तान में क्रिकेट का ऐसा कोई असर भी नहीं है कि वहां विश्वस्तरीय क्रिकेटर निकले, लेकिन लेग स्पिनर राशिद खान ने अपने जुनून और मेहनत के बल पर यह कामयाबी हासिल की।
राशिद खान का जन्म 20 सितंबर, 1998 को नांगरहार अफगानिस्तान हुआ था। तमाम दिक्कतों और परेशानियों के बावजूद राशिद खान वहां अपने जुनून के साथ क्रिकेट खेलते रहे। देश के हालात से बेपरवाह उन्होंने अपना फोकस क्रिकेट पर रखा। यही बात उनको बाकी देश के बाकी क्रिकेटरों से अलग रखती है।
एक इंटरव्यू के दौरान राशिद खान ने कहा था कि जिस पर हमारा वश नहीं है, उसे हम नहीं रोक सकते हैं, लेकिन जो हम कर सकते हैं, उसे रोकना गुनाह होगा।
ऐसे में राशिद के सामने एक ही चारा था। अगर क्रिकेट में आगे बढ़ना है तो खुद को उसी तरफ फोकस करना होगा। इस मूलमंत्र के साथ राशिद आगे बढ़े और बुनियादी सुविधाओं की कमी के बावजूद टीवी पर क्रिकेट को देख-देख कर खेलते रहे। वे जहां रहते थे, वहां कोई बड़ा मैदान नहीं था। इसलिए गलियों और अस्थायी पिचों पर प्रैक्टिस करके खुद को एक क्रिकेटर के रूप में तैयार किया और अफगानिस्तान की राष्ट्रीय टीम में जगह बनाई।
उनकी प्रतिभा को पहले लोकल लेवल के कोच और ट्रेनरों ने पहचाना और फिर धीरे-धीरे उनको आगे बढ़ाया। आज वह देश की ओर से अंतरराष्ट्रीय मैच खेल रहे हैं। अब वह आईपीएल समेत अफगानिस्तान की ओर से देश का प्रतिनिधित्व करते हुए काफी आगे बढ़ चुके हैं। उनकी पहचान एक स्थापित खिलाड़ी की बन चुकी है।