मोहम्मद कैफ ने कहा कि नेटवेस्ट ट्राफी में मेरे लिए प्रूव करने का एक अवसर था। मैंने जो हार्डवर्क बचपन से किया था, उसके लिए यह ऐसा मौका था जो मैं जाने नहीं देना चाहता था। मुझे यह याद है कि सचिन जब आउट होकर बाहर जा रहे थे और मैं लार्ड्स में इंटर कर रहा था। तब माना जा रहा था कि सचिन आउट तो मैच हार गये।
पहले माना जाता था कि सचिन के बाद इंडिया टीम कभी जीत नहीं पाएगी
पहले यह एक कहानी थी कि सचिन के बाद इंडिया टीम कभी जीत नहीं पाएगी। तो लोग स्टैंड से निकलने लगे। क्राउड जा रहा था मंजर बहुत खराब था। मेरे पैरेंट्स भी घर में टीवी बंद कर मूवी देखने चले गये। मेरे घर के पास थियेटर था, शाहरूख खान की फिल्म थी देवदास, उसको देखने चले गये। बेटे की बैटिंग नहीं देखी।
लोगों ने समझा कि पैरेंट्स घर के अंदर हैं, जानबूझकर बाहर ताला बंद किये हैं
स्टोरी यह थी कि जब मैच जीत गये तो मोहल्ले के लोग आए, बाहर से ताला बंद था। लोगों को लगा कि कैफ ने मैच जिता दिया, लेकिन ये जानबूझकर बाहर ताला लगा दिये हैं ताकि भीड़ न आए। वे बाहर से गेट पीटते रहे, लेकिन जब भीड़ को पता चल गया कि सचमुच घर में कोई नहीं है और सब लोग थियेटर में फिल्म देखने गये हैं तो वे थियेटर पहुंच गये और हमारे पैरेंट्स को मूवी छोड़कर थियेटर के बाहर आना पड़ा। तो वह एक माहौल था।
मेरा बैटिंग का कोई प्लान नहीं था। मुझे बस बाल देखना था। मुझे पता था कि यह मेरी जिंदगी का सुनहरा मौका होने वाला है, जो नंबर सात पर बैटिंग करते हैं, वह बार-बार मौका नहीं आएगा। सचिन बार-बार आउट नहीं होगा, सहवाग बार-बार आउट नहीं होगा।
आपको 25 ओवर बार-बार खेलने को नहीं मिलेंगे। हमेशा छह, सात, आठ ओवर मिलते हैं। और युवराज सिंह फार्म में थे उनको देखकर मेरा रोल था, मैंने प्ले किया, बस हो गया और हम मैच जीत गये।