Parchi-Parchi Slogan and Shan Masood: क्रिकेट में पर्ची-पर्ची शब्दों से नारे लगाना और खिलाड़ियों के खिलाफ अपमानजनक बातें करना पाकिस्तान के दर्शकों के साथ ही वहां के दूसरे खिलाड़ियों की आम आदत बन गई है। अक्सर वे अपने खिलाड़ियों के कम रन बनाने या मैदान पर कैच छोड़ देने या विपक्षी टीम के बैट्समैन को अधिक रन देने पर उनके खिलाफ पर्ची-पर्ची के नारे लगाने शुरू कर देते हैं। नादिर अली पॉडकास्ट में पूर्व क्रिकेटर बासित अली ने इसकी कड़ी निंदा करते हुए कहा कि यह एक गलत रवैया है। इससे खिलाड़ियों के प्रदर्शन पर असर पड़ता है।
Parchi-Parchi Slogan and Shan Masood: एक क्रिकेटर दूसरे को कहे तो वह खुद सिफारिशी होगा
बासित अली ने अपनी मिसाल देते हुए बोले कि क्रिकेटर बनना इतना आसान नहीं होता है। वे जब फर्स्ट क्लास क्रिकेटर खेल रहे थे, तब दो-दो बस बदलकर जाया करते थे। पहली बस पकड़कर जैखब लाइन से जेल और जेल पुलिस चौकी से दूसरी बस से स्टेडियम पहुंचते थे। उन्होंने कहा कि पर्ची-पर्ची कोई अवाम कहे तो ठीक है, लेकिन अगर एक प्लेयर दूसरे प्लेयर को ऐसा कहे तो वह सिफारिशी होगा। क्योंकि वह भी क्रिकेटर है और उसे पता होगा कि क्रिकेटर बनने के लिए कितनी परेशानियां झेलनी होती है।
इससे पहले 7 मई 2023 को रावलपिंडी में खेले गये पांच मैचों की सीरीज के पांचवे और अंतिम मैच में पाकिस्तान को न्यूजीलैंड ने 47 रन से हरा दिया। इस मैच में पाकिस्तान के बल्लेबाज शान मसूद के खिलाफ दर्शकों ने जमकर हूटिंग की थी। अंतिम मैच में वे केवल 7 रन बनाकर पवेलियन लौट गए थे। उनके खिलाफ दर्शकों ने जोरदार ढंग से पर्ची-पर्ची के नारे लगाए।
नादिर अली ने कहा कि हाल ही में इमामुल हक का एक स्टेटमेंट आया था कि उनकी फैमिली ग्राउंड में बैठकर मैच नहीं देख सकती थी। वह उनको लेकर कभी आते भी नहीं थे। उन्हें लगता था कि इससे उनके मन में निगेटिविटी आएगी। इससे खिलाड़ी का मेंटल हेल्थ डिस्टर्ब हो जाता है। वह नर्वस हो जाता है। इमरान फहद ने भी ऐसा बयान दिया था कि उसे पर्ची-पर्ची कहा जाता था।
पाकिस्तान में पर्ची-पर्ची कहने का अर्थ सिफारिशी होता है। यानी ऐसा खिलाड़ी जो अपनी योग्यता या प्रतिभा के प्रदर्शन के बल पर नहीं, बल्कि किसी की सिफारिश पर यहां तक पहुंचा है।