भारत-पाकिस्तान के बीच मैच हो और उसकी कहानियां न बनें यह संभव नहीं। मजेदार किस्से हर मैच से निकलते हैं।पुराने समय के खिलाड़ी जो अब रिटायर हो चुके हैं, उनके पास ऐसे बहुत से किस्से हैं। ऐसा ही एक किस्सा सुनील गावस्कर ने शेयर किया। उन्होंने बताया कि पाकिस्तान की टीम के खिलाड़ी जब मैदान पर होते हैं तो आपस में और दूसरी टीम के खिलाड़ियों से लगातार बात करते रहते हैं। पाकिस्तान की टीम ऐसी टीम है जो साइलेंट रहती ही नहीं है। पाकिस्तान में साइलेंट जोन है ही नहीं।
पाकिस्तान की टीम मैदान में साइलेंट नहीं रहती है
गावस्कर बताते हैं कि एक बार एक खिलाड़ी कवर पर खड़ा था और कप्तान उससे आगे-पीछे होने को कह रहे थे तो वह अपना शैडो को देखकर उससे अपना बाल ठीक करने में लगे थे। अटेंशन दे ही नहीं रहा था। इस पर कप्तान अगल-बगल के खिलाड़ियों को इशारा करके अटेंशन देने को कहे तो उस वक्त खिलाड़ी आपस में जो गालियां दे रहे थे, उसे मैं किसी के सामने बोल नहीं सकता हूं।
आपसे कुछ नहीं कहेंगे, लेकिन डिस्ट्रैक्शन उसी से होता है
उन्होंने कहा कि वह आपसे कुछ नहीं कह रहे हैं, लेकिन डिस्ट्रैक्शन उसी से होता है। वे दोनों खिलाड़ी क्या बोल रहे हैं और क्या गालियां दे रहे हैं, इसी से अटेंशन डिस्ट्रैक्ट होता है।
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उन्होंने एक और किस्सा शेयर किया। वे बताए कि 1982 में हमने 3-0 से सीरिज हारी थी। और उस वक्त जो पाकिस्तान टीम थी, यानी पाकिस्तान टीम मतलब विकेट कीपर से डीप फाइन लेग, डीप फाइन लेग से कवर, विकेट कीपर से कवर और कवर से गली और गली से मिड ऑफ तक जो बातें चलती थी और एक दूसरे को जो पुकारते थे, उससे काफी डिस्ट्रैक्शन हुआ करता था। तो बल्लेबाज को कुछ कहने की जरूरत नहीं थी।
सुनील गावस्कर कहते हैं कि पाकिस्तान की टीम के साथ यही दिक्कत है कि वह न खुद ध्यान रखती हैं और न दूसरों को रखने देंगी। इससे कई बार स्थितियां बड़ी अजीब टाइप की हो जाती थी।