हम सहारा कप खेल रहे थे, उस समय श्रीनाथ इंज्योर्ड था, वेंकटेश इंज्योर्ड था, अनिल भी इंज्योर्ड था। भज्जी ने तब तक डेब्यू नहीं किया था। देवाशीष मोहंती पहली बार खेल रहा था, हरविंदर भी पहली बार खेल रहा था। हमको लगा कि इन दोनों में कौन ओपन करे तो मैंने देवाशीष से कहा कि तू ओपन कर, तेरा बाल स्विंग होता था।
पहले चारों मैच में देबू ने सईद को आउट किया था
देबू ने पहले चारों मैचों में सईद अनवर को आउट किया। संयोग से चौथे मैच के बाद एक फंक्शन था। फंक्शन के दौरान सईद अनवर ने आकर मुझसे कहा कि सब कुछ ठीक है, लेकिन यह मोहंती करता क्या है, क्या बंदा है। मैंने पूछा क्यों क्या हुआ? ऐसे भागकर आता है और क्या बॉल डालता है। जिसे मैं खेलूं वह बाहर जाता है और जिसे मैं छोड़ूं वह अंदर आता है। मैं क्या करूं, वह पता नहीं चल रहा है।
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भागकर आता है ऐसे और पूछता है कि मैं क्या डालने वाला हूं। तो मैं कहता था कि मुझे कुछ नहीं पता है। एक्शन में क्वेश्चन था। पांचवें मैच में मैं स्लिप में था और सईद अनवर सर्वाइव कर गया काफी देर तक। मैंने देखो कल बात कर रहा था आज सर्वाइव कर गया।
सईद अनवर जिस लेवल पर बैटिंग कर रहा था, मुझे लगता था कि मैच कहीं ले न जाए हमारे हाथे से। इसके बाद मैं स्लिप से हटकर अंपायर के आगे खड़ा हो गया और अगला बॉल मोहंती ने फेंका और सईद ने बैट चलाया तो बॉल सीधा मेरे हाथ में आ गया। मैंने कहा देखो जब कोई बॉलर पीछे लगता है तो बच नहीं सकता है।