पाकिस्तान पूरी तरह से मजहब के नाम पर स्थापित हुआ देश था, लिहाजा वहां अल्पसंख्यकों को विकास के ज्यादा मौके नहीं मिल पाये। बहरहाल पाकिस्तानी क्रिकेट टीम में अल्पसंख्यक हिंदुओं और क्रिश्चियन की तादात बहुत कम रही। अनिल दलपत सोनावरिया (Anil Dalpat Sonavaria) एक ऐसे ही क्रिकेटर रहे, जो पाकिस्तान की ओर से खेलते थे और वे पहले हिंदू क्रिकेटर हैं, जिनको राष्ट्रीय टीम में लिया गया।
अनिल के पिता दलपत सोनवारिया पाकिस्तान हिंदूज नामक क्रिकेट क्लब के मालिक थे। उस समय वे अपने क्लब में कई लोगों को क्रिकेट की ट्रेनिंग देते थे और उन्हें आगे बढ़ने में मदद करते थे। अनिल अपने पिता की देखरेख में क्रिकेट खेलना शुरू किया और वे पाकिस्तान की राष्ट्रीय टीम तक पहुंचे। इस दौरान उन्होंने नौ टेस्ट मैच और 15 वडे इंटरनेशनल मैच खेले। उन्हें ज्यादा मौका नहीं मिला, लेकिन जितना मिला, उतने में वे बेहतर करने की कोशिश करते रहे।
दलपत कराची में रहते थे और 1984 में पहली बार इंग्लैंड के खिलाफ अपना पहला अंतरराष्ट्रीय मैच खेला। उस वक्त पाकिस्तान टीम के कप्तान इमरान खान थे।
अनिल दलपत के नाम के पीछे भी एक रोचक कहानी है। दरअसल ऑस्ट्रेलिया के एक क्रिकेटर थे नॉर्म ओ’नील, जो अपने देश के लिए कई बार अच्छी बल्लेबाजी करके नाम कमा चुके थे। 1959 में जब ऑस्ट्रेलियाई टीम पाकिस्तान के दौरे पर आई तो उसमें नॉर्म ओ’नील भी थे। नॉर्म ओ’नील ने इस दौरान शानदार पारी खेलते हुए 134 रन बनाये। मैच लाहौर में हुआ था।
इसको देखने के लिए कराची से दलपत सोनवारिया भी पहुंचे। उन्होंने नॉर्म ओ’नील (Norm O’Neill) की बल्लेबाजी देखी तो उनसे बहुत प्रभावित हुए और अपने बेटे का नाम ओ’नील के नाम पर उससे मिलता जुलता अनिल रख दिया। बाद में जब अनिल पाकिस्तान की राष्ट्रीय टीम में आ गये तो वे ऑस्ट्रेलिया खेलने गये।
अनिल का पूरा परिवार क्रिकेट से जुड़ा था। उनके चचेरे भाई दानिश कनेरिया, भरत कनेरिया और महेंद्र कनेरिया भी क्रिकेट खेलते थे और प्रथम श्रेणी के मैच खेले। दानिश तो पाकिस्तान की ओर से अंतरराष्ट्रीय मैच भी खेले देश के सबसे सफल टेस्ट स्पिनर रहे हैं।