देश के पूर्व क्रिकेटर नवजोत सिंह सिद्धू हंसने-हंसाने के खेल में तो माहिर हैं ही, वह राजनीति के भी तेज खिलाड़ी हैं। वह जिस काम में लगते हैं उनके प्रशंसकों और चाहने वालों की भारी भीड़ उनके साथ होती है, लेकिन क्रिकेट के खिलाड़ी बनने के लिए उन्होंने काफी मेहनत करनी पड़ी। एक समय ऐसा था कि वह दिन रात मेहनत करते थे, लेकिन वह आगे नहीं बढ़ पा रहे थे। जब उनका क्रिकेट में सेलेक्शन हुआ और पहली बार वह टीम इंडिया की ओर से मैदान में उतरे तो वहां कुछ अच्छा प्रदर्शन नहीं कर पाये और टीम से बाहर हो गये।
यह खबर जब अगले दिन अखबार में छपी तो उनके पिता बहुत दुखी हुए। उनकी आंखों से आंसू निकल आए। पिता सरदार भगवंत सिंह की आंखों में आंसू देखकर नवजोत सिंह सिद्धू बहुत दुखी हुए। उन्होंने भी वह अखबार देखा और उसमें अपनी कमियां पढ़कर उसको अपनी आलमारी में चिपका लिया। नवजोत सिंह सिद्धू अब रोज उन शब्दों को देखते और तय किया कि किसी भी हालत में अपने को बेहतर बनाएंगे और टीम इंडिया में शामिल होंगे।
वह दिन-रात मेहनत करने लगे थे। वह अपनी बैटिंग प्रैक्टिस के लिए मोहल्ले के बच्चों को चाकलेट देकर बॉलिंग कराते थे। कई बार ऐसा हुआ कि वह देर रात तक प्रैक्टिस करते रहते थे और पैड पहनकर ही सो जाते थे। चार साल की कड़ी मेहनत के बाद उनका फाइनली सेलेक्शन टीम इंडिया में हुआ। उन्होंने 1987 के वर्ल्ड कप में पांच अर्ध शतक और और 29 छक्के लगाए।
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हालांकि दुखद यह था कि यह दिन देखने के लिए उनके पिता नहीं रहे। उनका कुछ समय पहले निधन हो गया था। तब उनकी पत्नी ने उनका मनोबल बढ़ाया। सिद्धू ने उसके बाद कई बार अच्छे रिकॉर्ड बनाए, अच्छे खेल से सबको प्रभावित किया, लेकिन पिता के सामने वह उपलब्धि नहीं अर्जित कर सके।
एक बार सिद्धू जब विदेश दौरे पर जा रहे थे, तब साथ में बैठे रवि शास्त्री ने सिद्धू को एक अखबार पढ़ने के लिए दिया। सिद्धू ने जब उसको पढ़ा तो उनके आंखों से आंसू निकलने लगे। इस अखबार में जो आर्टिकल छपा था, उसको उसी रिपोर्टर ने लिखा था, जिस रिपोर्टर ने उस समय लिखा था जब सिद्धू पहली बार टीम इंडिया में शामिल हुए थे और नाकाम रहे थे, जिसको पढ़कर उनके पिता की आंखों में आंसू आ गये थे।
तब सिद्धू को रिपोर्टर ने नाकाम खिलाड़ी बताया था, आज उसी रिपोर्टर ने उन्हें देश का सबसे कामयाब खिलाड़ी बताया है। दुखद यह था कि इस खबर को पढ़ने के लिए उनके पिता इस दुनिया में नहीं थे।