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Nepal Team and Asia Cup: कुशल भुरतेल की मां के लिए पूरी टीम ने अस्पताल में बिताई रात, अगले दिन नेपाली ओपनर ने ठोका शतक

World Cup 2023 | Nepal | Qualifier Round |

विश्व कप क्वालीफाइंग राउंड के लिए नेपाल की टीम। (फोटो- फेसबुक)

Nepal Team and Asia Cup: एशिया कप में नेपाल क्रिकेट टीम का सफर खत्म हो चुका है। पहली बार इस टूर्नामेंट में खेल रहे इस देश को ग्रुप राउंड के दोनों मैचों में हार का सामना करना पड़ा। भारत और पाकिस्तान के खिलाफ मिली करारी हार के बावजूद इन खिलाड़ियों का हौंसला बुलंद है। पहाड़ों जैसी मुश्कलों का सीना चीरते हुए इस टीम ने अपने सपने पूरे किए हैं।

Nepal Team and Asia Cup: कुशल भुरतेल ने भारत के खिलाफ खेली तूफानी पारी

नेपाल क्रिकेट टीम के खिलाड़ी सिर्फ मैदान ही नहीं बल्कि उसके बाहर भी हर मुश्किल समय में साथ रहते हैं। टीम के सलामी बल्लेबाज कुशल भुरतेल के साथ जब ऐसी स्थिति आई तो पूरी टीम साथ थी। कुशल वही खिलाड़ी हैं जिन्होंने सोमवार को भारत के खिलाफ मुकाबले में तूफानी बल्लेबाजी की थी। 25 गेंदों में दो छक्के और तीन चौकों की मदद से उन्होंने 38 रन बनाए थे।

कुशल की मां के लिए पूरी टीम पहुंची थीं अस्पताल
पिछले साल नेपाल की टीम वर्ल्ड सुपर लीग 2 के मैच खेल रही थी। नामीबिया के खिलाफ उन्हें करो या मरो का मैच खेलना था। उसी समय कुशल को पता चला की उनकी मां जल गईं हैं और उन्हें इलाज के लिए काठमांडु लाया गया है। कुशल ही नहीं बल्कि पूरी टीम अस्पताल पहुंची और पूरी रात वहीं बिताई। इंडियन एक्सप्रेस से बातचीत में टीम के कोच मोंटी देसाई ने बताया कि उस रात उन्होंने इस टीम का अलग रूप देखा। पूरी टीम एक साथ नजर आई।

कुशल मां के साथ रहना चाहते लेकिन बहन के कहने पर टीम के साथ मैच खेलने उतरे। कुशल ने इस मैच में 113 गेंदों पर 115 रन बनाकर टीम को अहम जीत दिलाई। एशिया कप में सोमवार को जब वह कुशल ने भारतीय बल्लेबाजों की गेंदों पर छक्के-चौके लगाए तो पूरा नेपाल झूम उठा। कुशल अपने देश के सबसे लोकप्रिया खिलाड़ियों में से है। एक आम परिवार से आने वाले कुशल ने अपने खेल से अलग पहचान बनाई है।

नेपाल के तीन क्रिकेटर ऐसे रहे हैं, जिन्होंने अपनी कड़ी मेहनत से इसको लोकप्रियता दिलाई। नेपाल के सबसे सफल खिलाड़ियों में से पहला नाम पारस खड़का का हैं, जिन्होंने देश के लिए खेलते हुए काफी नाम कमाये हैं। हालांकि वहां तक पहुंचने के लिए उनको काफी कड़ी मेहनत करनी पड़ी थी। क्योंकि देश में क्रिकेट तब उतना लोकप्रिय खेल नहीं था, जितना कि आज है और इसमें उस समय पैसा भी नहीं था।

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