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नवजोत सिंह सिद्धू की बात से युवराज के पिता को लगा गहरा धक्का, उसी समय बेटे को क्रिकेटर बनाने की ठान ली

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टीम इंडिया के खिलाड़ी रहे युवराज सिंह। (फोटो- फेसबुक)

युवराज सिंह भारतीय क्रिकेट टीम के प्रमुख खिलाड़ी रहे हैं और वह कई मौकों पर भारत के लिए जीत के हीरो बने हैं। हालांकि वह बचपन में क्रिकेटर नहीं बनना चाहते थे, लेकिन उनके पिता योगराज सिंह उनको क्रिकेटर ही बनाना चाहते थे। पिता खुद एक अच्छे क्रिकेटर रहे हैं और टीम इंडिया के लिए टेस्ट और वनडे इंटरनेशनल दोनों खेले थे। उनको नवजोत सिंह सिद्धू की एक बात इतनी चुभ गई थी कि उन्होंने तय कर लिया था कि बेटे को क्रिकेटर बनाकर ही मानेंगे।

पटियाला के क्लब में कई प्रमुख खिलाड़ी आया करते थे

युवराज सिंह पटियाला में यादवेंद्र पब्लिक स्कूल में पढ़ा करते थे। हालांकि पढ़ने में वह बहुत अच्छे नहीं थे। वहां पर महर्षि क्लब नाम से एक क्लब था, जहां पर पंजाब के कई प्रमुख खिलाड़ी प्रैक्टिस के लिए आया करते थे। एक दिन योगराज सिंह युवराज को लेकर क्लब गये। इस दौरान उन्होंने युवराज से कहा कि पैड बांधों मैं तुम्हें बॉलिंग करता हूं तुम बैटिंग करो। संयोग से वहीं पर नवजोत सिंह सिद्धू भी थे।

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योगराज ने सिद्धू से अपने बेटे का परिचय कराया और कहा कि जरा इसका खेल देखकर बताइए कि कैसा है। युवराज को वहां मौजूद दूसरे लड़कों ने बॉलिंग की और युवराज ने कुछ शॉट लगाए और कुछ मिस भी किये। सिद्धू ने उनको बहुत गौर से देखा और बाद में अपनी राय दी कि यह लड़का क्रिकेट में नहीं चल पाएगा। इसको कुछ और कैरियर बनाने के लिए कहिये। यह बात उनके पिता योगराज को बहुत बुरी लगी और उन्होंने उसी वक्त युवराज को कहा कि अपना बैग उठाओ और चलो।

योगराज ने अपने बेटे से कहा कि मैं सिखाऊंगा और मैं बताऊंगा। असल में योगराज चाहते थे कि उनका बेटा फास्ट बॉलर बने। सिद्धू की बात से योगराज को इतना जबर्दस्त धक्का लगा था कि उन्होंने तय कर लिया था कि युवराज को इंडिया टीम में शामिल कराकर ही मानेंगे। अंतत: यही हुआ और युवराज सिंह न केवल टीम इंडिया में शामिल हुए बल्कि कई बार टीम को जीत भी दिलाई।

2007 में टी20 इंटरनेशनल टूर्नामेंट में भारत के ऑलराउंडर युवराज सिंह ने स्टुअर्ट ब्रॉड के एक ओवर में लगातार छह गेंदों पर छह छक्के लगाये थे। और केवल 12 गेंदों पर हाफ सेंचुरी बना लिए थे। इसी तरह 2011 के विश्वकप में उन्होंने कैंसर से जूझने के बावजूद 362 रन बनाये और 15 विकेट लिये। अच्छे प्रदर्शन के लिए उन्हें प्लेयर ऑफ द टूर्नामेंट घोषित किया गया। 2007 और 2011 दोनों बड़े टूर्नामेंट में भारत की जीत हुई। युवराज सिंह इस जीत के हीरो रहे।

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