नवजोत सिंह सिद्धू को फिल्में देखने का बड़ा शौक रहा। जवानी के दिनों में जब पिता उन्हें प्रैक्टिस के लिए भेजते थे तब भी वो चोरी छिपे फिल्म देखने निकल जाते थे। कई बार उन्हें इंटरवल के बाद भागना भी पड़ता था, क्योंकि उनके पिता शाम चार बजे के करीब ग्राउंड पर आते थे। यह देखने के लिए कि सिद्धू प्रैक्टिस करने के लिए आया है नहीं। अमूमन पिता चार बजे के करीब आया करते थे। लेकिन, एक दिन वह एक घंटा पहले ही पहुंच गए। उस दिन सिद्धू की चोरी पकड़ी गई।
एक बार मुंबई में आठ-नौ दिन का कैंप लगा था। उसमें सिद्धू के साथ अजहरुद्दीन भी थे। एक दिन दोनों ने फिल्म देखने का प्लान बनाया। दोनों साथ फिल्म देखने गए। फिल्म थी ‘हीरो’। थिएटर पहुंचे तो हाउसफुल का बोर्ड लग गया था। दोनों ने ब्लैक में टिकट लिया।
टिकट लेकर जब अंदर गए तो अलग मुसीबत खड़ी हो गई। पता चला सबसे आगे की रो की टिकटें थीं। अजहरुद्दीन तो भड़क गए। बोले- मैं तो यहां बैठने वाला नहीं। सिद्धू ने कहा- अब तो पैसे खर्च हो गए हैं, फिल्म देखनी तो पड़ेगी। अजहरुद्दीन बड़े नाराज हुए।
नवजोत सिंंह सिद्धू का खेल जिस तरह समय के साथ निखरता गया था, उसी तरह समय के साथ उनके व्यक्तित्व में भी बहुत बदलाव आया। शुरू में वह काफी शर्मीले थे। हाल यह थी कि शादी के बाद अगर उनकी ससुराल का कोई मिलने आ जाता तो सिद्धू दरवाजेे की ओर जाने के बजाय बाथरूम की ओर भागते थे। उनकी पत्नी नवजोत सख्त रुख अख्तियार करते हुए कहती थीं कि यह तो हमारी फैमिली के हैं, बिना आपसे मिले जाएंगे नहीं।
तब सिद्धू को मजबूरी में मिलना पड़ता था। लेकिन, आगे चलकर शर्म और झिझक को उन्होंने कहां छोड़ दिया, कोई नहीं जानता। उनके साथी क्रिकेटर रहे मनिंंदर सिंंह ने एक टीवी शो में उनसे कहा था कि क्रिकेट खेलने के दौर में तो जब अगले दिन आपकी बैटिंग होती थी तो आपकी आवाज नहीं निकलती थी। और आज तो आवाज रुक नहीं रही है।
उसी तरह पहनावे के मामले में भी सिद्धू काफी बदले। मनिन्दर सिंह ने एक टीवी शो में एक वाकया बताया था। पाकिस्तान का वाकया था। टीम को कहीं डिनर के लिए जाना था। नवजोत सिंह सिद्धू जिस जींस में डिनर के लिए गए, सुबह वही जींस पहन कर नाश्ते की मेज पर आ गए थे। लेकिन, अब तो उनकी टाई और पगड़ी मैच करती हुई होती है। जो भी कपड़ा पहनते हैं, उसमें कलर-डिजाइन का खास ध्यान रखते हैं।