आईपीएल 2023 में विराट कोहली से उलझ कर बदनाम हुए नवीन उल हक काबुल के रहने वाले हैं। रिफ्यूजी बन कर पाकिस्तान गए थे। पाकिस्तान में क्रिकेट खेला। फिर अफगानिस्तान लौटे। वहां के लिए भी क्रिकेट खेला। वह लड़कपन से ही भारतीय क्रिकेट टीम के फैन रहे। उन्होंने यह बात मानी है कि भारतीय क्रिकेट टीम की बैटिंग देख-देख कर ही क्रिकेट को लेकर उनका प्यार जागा और फिर जुनून में बदला।
भारत की बैटिंग देखना वह कभी मिस नहीं करते थे। लेकिन, जब भारतीय खिलाड़ियों के साथ क्रिकेट खेलने का मौका मिला तो गुस्सा करने और उलझने में भी पीछे नहीं रहे। एक मई, 2023 को आईपीएल के एक मैच के दौरान वह मैदान पर ही विराट कोहली से उलझ गए थे। वैसे, उनका स्वभाव शुरू से ही आक्रामक रहा है।
क्रिकेट खेलने में हमेशा बड़े भाई से उनका झगड़ा भी होता था। दोनों कभी एक टीम में नहीं होते थे। इस तरह उनके घर में ही अदावत रहती थी। हक के परिवार में क्रिकेट खेलने के लिए बहुत अच्छा माहौल नहीं था। उनके माता-पिता केवल छुट्टी के दिन ही क्रिकेट खेलने की इजाजत देते थे। उस दिन हक घर के बाहर एक-दो घंटा टेप बॉल से क्रिकेट खेल लिया करते थे। तब वह बोलिंग नहीं करते थे। तब वह बल्लेबाज और विकेटकीपर थे। बोलिंग करने से उन्हें नफरत थी।
जब हक का परिवार पाकिस्तान से अफगानिस्तान लौटा तब पहली बार उन्हें लेदर बॉल से खेलने का मौका मिला। अचानक एक दिन शुक्रवार को वह पिता के पास गए और अपने दिल की बात बताई। कहा- मैं लेदर बॉल क्रिकेट खेलना चाहता हूं और क्रिकेट को ही कॅरिअर बनाना चाहता हूं। पिता ने साफ मना कर दिया। कहा- तुम ऐसा नहीं कर सकते। तुम पढ़ाई पर ध्यान दो। हक के पिता डॉक्टर थे। इसलिए बेटे का पढ़ाई छोड़ क्रिकेट खेलना गंवारा नहीं था।
यहां हक के भाई ने उनकी मदद की। पिता से बात की और उन्हें मनाने में सफल रहे। कमरे में भाई पिता को मनाने की कोशिश कर रहे थे, बाहर हक दुआ कर रहे थे कि पिता मान जाएं। उनकी दुआ कबूल हुई। जल्द ही हक राष्ट्रीय क्रिकेट अकादमी में प्रैक्टिस कर रहे थे। उन्हें पहली बार लेदर बॉल से प्रैक्टिस करने का मौका वहीं मिला। लेदर बॉल से जब पहली बार हक ने बोलिंग की तो उन्हें लगा कि टेप बॉल जैसा ही होगा। उन्होंने उसी जोर से मार दिया जैसे टेप बॉल से मारते थे। मारने के बाद उन्हें लगा कि यह तो एकदम अलग है।
वह कोच से नजरें बचा कर प्रैक्टिस कर रहे थे। जब नजरें मिलीं तो बताया कि उनके पास अच्छे जूते नहीं थे, इसलिए वह फिसल गए थे। कोच ने उन्हें जूनियर्स के लिए बने नेट्स में प्रैक्टिस करने भेज दिया।
चीजें धीरे-धीरे बेहतर हो रही थीं। लेकिन, कुछ ठोस नतीजा नहीं निकल रहा था। एक वक्त ऐसा आया, जब हक का धैर्य जवाब दे गया। उन्होंने बस एक साल और देने का तय किया। उस दौरान कड़ी मेहनत की और उसका नतीजा भी निकला। क्रिकेट में उनकी गाड़ी चल निकली।