बात 1977 की है। भारत की टीम ऑस्ट्रेलिया के दौरे पर थी। उस समय न तो हेलमेट होता था और न आज की तरह खिलाड़ियों की शारीरिक सुरक्षा के लिए तमाम उपाय ही होते थे। ऑस्ट्रेलिया के पर्थ में मैच था। वही पर्थ जिसके पिच को उस जमाने में दुनिया का सबसे तेज पिच माना जाता था। वहां पर बल्लेबाजों के लिए खेल पाना न केवल कठिन बल्कि अत्यंत खतरनाक था। उस मैदान पर भारत के मोहिंदर अमरनाथ ने बल्लेबाजी करते हुए पहली पारी में 90 रन और दूसरी पारी में 100 बनाये थे। गेंदबाज थे जेफ टॉमसन।
जेफ टॉमसन को खेलना हर किसी के लिए संभव नहीं था। वह पूरे क्रिकेट जगत में सबसे फॉस्ट बॉलिंग करने वाले कुख्यात बॉलर थे। दोनों पारियों में इस शानदार बल्लेबाजी के चलते मोहिंदर अमरनाथ दुनिया में छा गये थे। क्रिकेट खेलने वाला हर खिलाड़ी ने उनको नोटिस किया था। पहली पारी में उनके 90 रन थे। अगर यह 100 रन होता तो एक मैच की दोनों पारियों में शतक बनाने का उनका रिकॉर्ड बन जाता।
इसके बाद मेलबर्न टेस्ट में उन्होंने अंगुली में चोट लगने और तीन टांके लगे होने के बावजूद 72 रन बनाये थे। इसके बाद एडीलेड में 86 रन बनाये थे। मोहिंदर अमरनाथ की यह विशेषता थी कि वह कई बार भारत के लिए संकटमोचक साबित होते थे।
फास्ट बॉलिंग खेलने वाले खिलाड़ियों में मोहिंदर अमरनाथ का नाम सबसे ऊपर रहता रहा है। इससे पहले 1969 में आस्ट्रेलिया की टीम भारत के दौरे पर थी। उस दौरान मोहिंदर अमरनाथ की उम्र केवल 19 साल थी। इस मैच में उन्होंने इयान चैपल और कीथ स्टेकपोल का विकेट लिया। इसके अलावा आठवें नंबर पर बल्लेबाजी करने उतरे मोहिंदर अमरनाथ ने 16 नाट आउट रन बनाए।
हालांकि उनको दोबारा टेस्ट मैच खेलने के लिए जल्दी मौका नहीं मिला। छह साल बाद उनको न्यूजीलैंड और वेस्टइंडीज के खिलाफ चुनी गई भारतीय टीम में लिया गया। इसमें उन्होंने मदन लाल के साथ साझेदारी करते हुए 64 रन बनाए थे और 63 रन देकर चार विकेट लिये थे। वेस्टइंडीज में इन्होंने शानदार 85 रन बनाये थे। इसके बाद किंग्सटन में 59 रन बनाये। इसमें तीन छक्के और सात चौके लगाए। मोहिंदर अमरनाथ की इन शानदार पारियों को देखकर तमाम दिग्गज खिलाड़ी हैरान रह गये थे।