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Mohammed Siraj: मैदान पर प्रैक्टिस के लिए पहुंचे तो डेंगू गायब, सिराज ने पहली बार रणजी के लिए बुलावा आने की बताई कहानी

Mohammed Siraj: टीम इंडिया के फास्ट बॉलर मोहम्मद सिराज काफी गरीबी से निकलकर यहां तक पहुंचे हैं। उन्होंने 19 साल की उम्र में पहली बार स्पाइक्स पहनीं और नये बॉल से गेंदबाजी की। इसके पहले वह टेनिस बॉल से खेलते थे। ब्रेकफास्ट विथ चैंपियंस में गौरव कपूर के साथ बात करते हुए उन्होंने बताया कि बचपन में मम्मी बोलती थीं कि बड़ा भाई इंजीनियर है, तू केवल आवारागर्दी कर रहा है।

सिराज अक्सर स्कूल जाकर बंक मार देते थे और सीधे ग्राउंड पर खेलने चले जाते थे। बाद में स्कूल से शिकायती आती थी। डर के मारे सिराज घर नहीं आते थे। जब पापा घर लौटते थे तभी वह घर में घुसते थे। पापा अक्सर सिराज को मम्मी की पिटाई से बचा लेते थे। इसलिए सिराज को पापा का इंतजार था।

पहले ही मैच में 9 विकेट लेने पर मामा ने दिये पांच सौ रुपये

सिराज पहली बार रणजी ट्रॉफी 2016 में खेले। उसके पहले वे हैदराबाद में लीग मैच खेला करते थे। उनके मामा का अपना एक क्लब था। पहले ही मैच में 9 विकेट लिये थे। खुश होकर मामा ने 500 रुपये दिये। उसमें से तीन सौ रुपये घर में दे दिये। सिराज के पापा ऑटो ड्राइवर थे। बडे भाई इंजीनियरिंग की पढ़ाई कर रहे थे, पापा उनको पॉकेट मनी के तौर पर 100 रुपये रोजाना देते थे। 70 रुपये सिराज को देते थे, जिसमें से 40 रुपये उनकी पुरानी प्लेटिना मोटरसाइकिल के पेट्रोल में चला जाता था। वह काफी पुरानी होने से बिना धक्का लगाए स्टार्ट नहीं होती थी।

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सिराज जब स्टेडियम में प्रैक्टिस के लिए जाते थे, तब वहां पर कई लोग बड़ी-बड़ी कारों में आते थे। उनके सामने सिराज को अपनी मोटरसाइकिल में धक्का लगाने में बहुत बेइज्जती महसूस होती थी। वे इंतजार करते थे कि सब लोग चले जाएं तो वे अपनी गाड़ी बाहर निकालें।

सिराज ने पहली बार फास्ट बालिंग तब की, जब वह 16 साल के थे। गली-मोहल्लों में खेलते हुए वे फास्ट बालिंग किया करते थे। पैसों की कमी की वजह से वे चप्पल पहनकर बॉलिंग करते थे। 19 साल की उम्र तक उनके पास क्रिकेट में पहनने वाले जूते नहीं थे।

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19 साल की उम्र में वह पहली बार एक टूर्नामेंट खेलने गये। उसमें सिराज ने जबर्दस्त बॉलिंग की। इसके पहले वह हमेशा टेनिस बॉल से खेले थे, टूर्नामेंट में पहली बार नए गेंद से खेले। टूर्नामेंट वालों ने उनसे कहा कि मेरी तरफ से खेलो, पैसा भी देंगे, कपड़े और जूते भी दिलाएंग। सिराज ने पहली बार स्पाइक्स पहनीं।

इसके कुछ दिन बाद सिराज जब चर्चित हो गये तो रणजी ट्रॉफी के प्रोबेबल्स में आए। इस बीच उनको डेंगू हो गया। उनके ब्लड सेल्स बहुत कम हो गये थे। अगर हॉस्पिटल न जाते तो जान को खतरा होने की आशंका थी। उनका नाम रणजी टीम में आ गया था। वहां से सुबह 5 बजे फोन आया कि कुछ देर में मैदान पर प्रैक्टिस के लिए पहुंचो। सिराज ने कहा कि मैं हॉस्पिटल में हूं तो उधर से काल आई की नहीं आओगे तो नाम कट जाएगा। फिर चांस नहीं मिलेगा।

सिराज को लगा कि नहीं जाने पर उन लोगों को लगेगा कि झूठ बोल रहा है और यह मौका भी हाथ से निकल जाएगा। बेहतर होगा कि चले ही जाएं। उन्होंने पापा को जगाया और पूरी बात बताई। उन्होंने पूछा कर लोगे, कोई दिक्कत तो नहीं आएगी? सिराज ने जवाब दिया नहीं।

वह मैदान पर पहुंचे और वहां चमत्कार हो गया। सिराज ने पूरे सौ फीसदी बॉलिंग की, बैटिंग की, फिल्डिंग की। कहीं कोई दिक्कत नहीं आई। सबकुछ ओके था। बाद में जाकर डॉक्टर से चेकअप कराया तो वहां भी कुछ नहीं निकला। वह बिल्कुल फिट दिखे।

वेंकट नटराजन खेल पत्रकार हैं। क्रिकेट में इनकी ना केवल रुचि है, बल्कि यह क्रिकेट के अच्छे खिलाड़ी भी रह चुके हैं। क्रिकेट से जुड़े क़िस्से लिखने के अलावा वेंकट क्रिकेट Match Live Update, Cricket News in Hindi कवर करने में भी माहिर हैं।