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एक समय क्रिकेट ही नहीं, दुनिया छोड़ने की सोचने लगे थे मोहम्मद शमी, रवि शास्त्री ने बचाया

मोहम्मद शमी (Mohammed Shami) भारतीय टीम के ऐसे खिलाड़ी हैं, जिन्हें घर और मैदान दोनों जगह बार-बार रिजेक्शन का सामना करना पड़ा। घर में पत्नी से विवाद के बाद वह काफी दिनों तक मानसिक तनाव में रहे तो मैदान में अपनी फिटनेस को लेकर कई बार उन्हें दिक्कतों का सामना करना पड़ा। इससे वह काफी परेशान रहने लगे थे। वह बात-बात पर गुस्सा करने लगे थे, झल्ला उठते थे। संघर्ष इतना ज्यादा हो गया था कि वह क्रिकेट से संन्यास लेकर खुद को खत्म कर लेने की बात सोचने लगे थे। यह हाल तब था, जब वह केवल 28 साल के थे।

परेशानी के समय गेंदबाजी कोच ने दिया बड़ा सहारा

2018 में इंग्लैंड दौरे से पहले मोहम्मद शमी फिटनेस टेस्ट क्लियर करने में फेल हो गये। वह टीम से बाहर हो गये। पहले से परेशान चल रहे मोहम्मद शमी के लिए यह एक और झटका था। इसी दौरान उन्होंने भारत के गेंदबाजी कोच भरत अरुण से मिले और उनके सामने संन्यास का इरादा जाहिर किया। भरत अरुण ने एक इंटरव्यू में कहा, “मोहम्मद शमी काफी गुस्से में थे और साफ कहा कि मैं क्रिकेट छोड़ना चाहता हूं।”

शास्त्री ने कहा, “अच्छा है तुम गुस्से में हो, गुस्से को अवसर में बदल दो

भरत अरुण उनको लेकर भारतीय टीम के हेड कोच रवि शास्त्री के पास गये। शमी ने शास्त्री से भी वही बात कही। अरुण बताते है कि शास्त्री ने उनसे कहा, “अच्छा है तुम गुस्से में हो, गुस्से को अवसर में बदल दो। इस गुस्से को अपने फिटनेस के रूप में बाहर निकालो।” शास्त्री ने शमी को नेशनल क्रिकेट एकेडमी (NCA) भेज दिया और कहा- चार सप्ताह वहां रहो। भरत अरुण बताते हैं, “चार के बजाए शमी पांच सप्ताह तक एनसीए में रहे। फिर एक दिन अचानक फोन किया और कहा- सर मैं एक घोड़े की तरह हो गया हूं। मुझे जितना दौड़ाना चाहें दौड़ा लीजिए।”

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भरत अरुण बोले, “शास्त्री ने सही कहा था- गुस्से को अवसर में बदल लो। शमी की जिंदगी बदल गई।”ऐसा नहीं है कि मोहम्मद शमी को सीनियर टीम में ही रिजेक्शन का सामना करना पड़ा। जब वह 16-17 साल के थे और तेज गेंदबाजी में अपनी प्रतिभा साबित कर चुके थे, तब यूपी की अंडर-19 टीम के लिए उनका नाम भेजा गया था, लेकिन उनका चयन नहीं हुआ। उनके कोच बदरुद्दीन (Badruddin) बताते हैं कि यह हैरान कर देने वाला वक्त था। किसी को ऐसी उम्मीद नहीं थी। इस घटना से शमी का भी दिल टूट गया।

बदरुद्दीन बताते है, “कुछ चीजें अच्छे के लिए ही होती हैं। एक दिन कोलकाता से उनके दोस्त अब्दुल मोनम (Abdul Monam) का फोन आया। मोनम ने बताया कि उन्हें एक तेज गेंदबाज की जरूरत है। बदरुद्दीन ने शमी का नाम भेजा। पहली नजर में मोनम ने शमी को उम्र के लिहाज से रिजेक्ट कर दिया। कहा कि तेज गेंदबाजी के लिए उनकी उम्र काफी कम है।” बदरुद्दीन ने दोस्त से कहा, “एक बार मौका दो, अगर शमी ने अपनी काबिलियत साबित नहीं की तो वापस भेज देना। मोनम मान गये।” शमी बंगाल पहुंचे तो टीम इंडिया तक पहुंचने का अवसर मिला।

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वेंकट नटराजन खेल पत्रकार हैं। क्रिकेट में इनकी ना केवल रुचि है, बल्कि यह क्रिकेट के अच्छे खिलाड़ी भी रह चुके हैं। क्रिकेट से जुड़े क़िस्से लिखने के अलावा वेंकट क्रिकेट Match Live Update, Cricket News in Hindi कवर करने में भी माहिर हैं।