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ऑटो चलाते थे मोहम्‍मद स‍िराज के प‍िता, मां करती थीं बाई का काम, जान‍िए एक बार क्‍यों प‍िता से बात करना कर द‍िया था कम 

एक बार मोहम्‍मद स‍िराज को पढ़ाने को लेकर उनके माता-प‍िता में बहस हो रही थी। तभी उनकी मां ने अपने भाई से कहा क‍ि इसका कुछ करो। स‍िराज के मामा का क्र‍िकेट क्‍लब था। उनकी मां ने अपने भाई को फोन कर कहा क‍ि यह (स‍िराज) पढ़ता-ल‍िखता नहीं है, खाली क्र‍िकेट खेलता है, कुछ करो इसका।

पहले ही मैच में नौ व‍िकेट ल‍िए तो मामा ने खुश होकर स‍िराज को 500 रुपये द‍िए

मामा ने कहा- इसे मेरे क्र‍िकेट क्‍लब में खेलने के ल‍िए भेज दो। स‍िराज भेज द‍िए गए। उन्‍होंने पहले ही मैच में नौ व‍िकेट ल‍िए। उनके मामा तो उनका खेल देख कर दंग रह गए। उन्‍होंने खुश होकर स‍िराज को 500 रुपये द‍िए। इसमें से 300 रुपये स‍िराज ने अपने घर पर दे द‍िए और 200 रुपये खुद रखे। स‍िराज को मैच खेल कर कहीं से भी जो पैसे म‍िलते थे, उसमें से ज्‍यादातर पैसा वह घर पर ही दे देते थे। घर की माली हालत बड़ी खराब थी।

पापा को भरोसा था कि एक दिन वह इंडिया के लिए खेलेगा

क्‍लब में स‍िराज का खेल देखकर उनके मामा ने उनकी मां से कहा- अब इसे पढ़ने की जरूरत नहीं है। यह क्र‍िकेट ही खेलेगा और मैं इसकी पीठ पर रहूंगा। स‍िराज के पापा को भरोसा था क‍ि एक द‍िन वह इंड‍िया के ल‍िए खेलेगा। मां कहती थीं क‍ि यह पढ़-ल‍िख नहीं रहा। पापा कहते क‍ि करने दो जो कर रहा है।

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स‍िराज के प‍िता ऑटो चलाते थे और मां दूसरों के घर में झाड़ू-पोंछा करती थीं। फ‍िर भी वे स‍िराज को 60 रुपए और उनके बड़े भाई को सौ रुपए जेब खर्च द‍िया करते थे। स‍िराज के बड़े भाई तो पढ़-ल‍िख कर इंजीन‍ियर बन गए थे। उनकी मां अक्‍सर कहा करती थीं क‍ि स‍िराज पढ़ता-ल‍िखता नहीं है, अंत में ऐसा न हो क‍ि हम पर यह आरोप लगे क‍ि मां-बाप ने छोटे बेटे के ल‍िए कुछ क‍िया ही नहीं।

2020 में आईपीएल के समय स‍िराज के प‍िता बीमार हो गए थे। वह जब भी बेटे से बात करते तो रोते थे। इसल‍िए स‍िराज ने उनसे बात करना ही कम कर द‍िया था, ताक‍ि उन्‍हें प‍िता का रोना न सुनना पड़े। आईपीएल खत्‍म होने के बाद भी उन्‍हें प‍िता की बीमारी के बारे में क‍िसी ने नहीं बताया।

उन्‍हें पता चला तो घरवाले से नाराज भी हुए। जब वह ऑस्‍ट्रेलिया गए तब उन्‍हें पता चला क‍ि उनके प‍िता गंभीर हैं। उनकी मौत हो गई तो वह भारत आना चाहते थे। लेक‍िन, उनके प‍िता की बात उनके कानों में गूंजने लगी- बेटा तुम्‍हें भारत का नाम रोशन करना है। इसके बाद स‍िराज ने घर नहीं लौटने का मन बना ल‍िया।
वेंकट नटराजन खेल पत्रकार हैं। क्रिकेट में इनकी ना केवल रुचि है, बल्कि यह क्रिकेट के अच्छे खिलाड़ी भी रह चुके हैं। क्रिकेट से जुड़े क़िस्से लिखने के अलावा वेंकट क्रिकेट Match Live Update, Cricket News in Hindi कवर करने में भी माहिर हैं।