Mohammad Kaif: अपना बेस्ट शॉट खेलो, बाकी मैं देख लूंगा, कैफ ने बताया कप्तान सौरव गांगुली ने नेटवेस्ट ट्रॉफी में कैसे बढ़ाया था उत्साह
Mohammad Kaif: भारतीय क्रिकेट टीम के पूर्व बल्लेबाज मोहम्मद कैफ (Mohammad Kaif) ने कहा है कि सौरव गांगुली (Sourav Ganguly) की कप्तानी में खेलना एक मजेदार अनुभव था। वह अपने नेतृत्व में साथी खिलाड़ियों को खुलकर खेलने का अवसर देते थे। इससे खिलाड़ियों में आत्मविश्वास जगता था और वह अपना स्वाभाविक प्रदर्शन कर पाता था। डीडी न्यूज को दिए एक इंटरव्यू में मोहम्मद कैफ गांगुली के नेतृत्व में खेलने के अपने अनुभव बताए।
Mohammad Kaif: कप्तान सौरव गांगुली की बात से बढ़ा खुद पर भरोसा
उन्होंने कहा कि इंग्लैंड में 2002 में लॉर्ड्स मैदान में हुए नेटवेस्ट ट्रॉफी के फाइनल मैच में जब वह बैटिंग के लिए जा रहे थे, तब कप्तान सौरव गांगुली ने उनसे कहा था कि मैदान पर जाओ और अपना बेस्ट शॉट खेलो। बाकी जो भी होगा उसको मैं देख लूंगा। यह ऐसी बात थी, यह ऐसी प्रेरक शक्ति थी जो किसी का भी आत्मविश्वास जगा सकता था और उस मैच में मोहम्मद कैफ ने भारत के लिए विनिंग इनिंग खेली थी।
उस मैच में भी मोहम्मद कैफ, युवराज सिंह के बाद सबसे ज्यादा रन सौरव गांगुली ने ही बनाया था। नेटवेस्ट ट्रॉफी में पहले खेलते हुए इंग्लैंड ने निर्धारित 50 ओवर में 5 विकेट पर 325 रन बनाए थे। भारत के सामने 326 रनों का बड़ा लक्ष्य रखा था। यह सौरव गांगुली ही थे, जो खिलाड़ियों का उत्साहवर्धन करते हुए इस विश्वास के साथ मैदान में उतरे थे कि हम हर हाल में यह मैच जीतेंगे। और अंतत: वही हुआ। भारत इस मुकाबले को दो विकेट से जीत लिया।
कैफ ने कहा कि जिस वक्त सौरव गांगुली ने टीम इंडिया की कमान संभाली थी, उस वक्त टीम इंडिया के अधिकतर खिलाड़ियों का आत्मविश्वास कमजोर था। मैच फिक्सिंग की परछाई से टीम उबर नहीं पाई थी। दबाव जबर्दस्त था। ऐसे में टीम को नया उत्साह देने वाले कप्तान की जरूरत थी। सौरव गांगुली के नेतृत्व ने इस काम को प्रमुखता से किया।
इंटरव्यू के दौरान मोहम्मद कैफ ने कहा कि देश में कई सफल कप्तान हुए हैं, लेकिन सौरव गांगुली ने जो नेतृत्व दिया वह टीम इंडिया के लिए ऐसा बूस्टर था, जो इसको काफी आगे तक ले गया। कई महत्वपूर्ण मैचों में टीम को उन्होंने शानदार जीत दिलाई और वनडे और टेस्ट मैचों में देश का सम्मान बढ़ाया।
सौरव गांगुली अब 51 साल के हो गये हैं। वह अब भी काफी फिट रहते हैं और देश के क्रिकेट के लिए कई दूसरे तरीकों से अपना योगदान दे रहे हैं। एक संघर्षशील खिलाड़ी से उठकर उन्होंने बीसीसीआई के चेयरमैन तक का सफर उन्होंने तय किया है।