पाकिस्तान के पूर्व क्रिकेटर मोहम्मद हाफिज (Mohammad Hafeez) 19 साल की उम्र तक कभी क्रिकेट में कैरियर बनाने की नहीं सोचे थे। इसके पहले वे गली मोहल्लों में टेप वाले बॉल से आम बच्चों की तरह जरूर क्रिकेट खेले थे। जब वह 19 साल के होने वाले थे यानी दो तीन महीने बाकी थे, इसी दौरान उनके शहर में अंडर-19 के लिये ट्रायल हो रहा था। वह सिर्फ उसे देखने के लिए वहां चले गये।
वहां उन्होंने भी दूसरे बच्चों की तरह ट्रायल दिया तो वे सेलेक्ट हो गये। जिस जगह यह ट्रायल हुआ था, यह उनका क्षेत्र नहीं था। सरगोधा के लिए वे बाहरी थे। उनके सेलेक्ट होने पर वहां के लोग विरोध करने लगे। क्योंकि हाफिज न तो किसी क्लब से आए थे और न ही उनकी कम्यूनिटी के थे। हाफिज रेगुलर क्रिकेट खेलते भी नहीं थे। उन लोगों को लगा कि यह तो आउटसाइडर है और उन लोगों के साथ कभी क्रिकेट खेला नहीं था।
तब हाफिज ने महसूस किया कि ये लोग ऐसा क्यों सोचते हैं। हाफिज भले ही टेप बॉल से क्रिकेट खेलते रहे हैं, लेकिन वे वहां ट्रायल में सेलेक्ट हुए हैं तो उनके साथ ऐसा व्यवहार क्यों हो रहा है। हाफिज के पास क्रिकेट खेलने के दौरान पहनने वाले जूते भी नहीं थे। वह सामान्य जूते पहनकर गये थे। दूसरे के बल्ले से अपना ट्रायल दिया था।
वहां पर हाफिज के सेलेक्ट होने पर उनको इतना इग्नोर किया गया कि इससे उनको गुस्सा जैसा आ गया। हाफिज ने उन लोगों को सलाम किया जिन्होंने उनको सेलेक्ट किया और इस इग्नोर को चैलेंज की तरह लिया। उन्होंने कहा कि जो लोग मेरे बारे में ऐसी बातें सोच रहे हैं मैं उनको क्रिकेट में टॉप पर पहुंच कर दिखाऊंगा।
हाफिज ने बताया कि वे ट्रायल देते वक्त हेलमेट नहीं लगाए थे। वे जब अपनी गली या मोहल्ले में टेप बॉल से क्रिकेट खेलते थे, तो वहां वे बिना झिझक हर बाल पर छक्का मारते थे। वही आदत को ट्रायल के दौरान भी अपनाया और जो भी बॉल मुझे फेंकी गई, मैं उसी अंदाज में धुंआधार छक्का मारने लगा। बहरहाल हाफिज ने अंडर-19 क्रिकेट खेली और वहां पर अच्छा परफार्म किया। उन्होंने जावेद मियांदाद और बासित अली का रिकार्ड तोड़ा। इसके बाद फिर कभी पीछे नहीं देखा और लगातार आगे बढ़ते गये।