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Memories Of World Cup 2011 Winning: जब सारी लक्जरी कारें मुंबई के मरीन ड्राइव में थीं, पेसर आर. अश्विन ने साझा कीं दिलचस्प यादें

Memories Of World Cup 2011 Winning: भारत में क्रिकेट की लोकप्रियता काफी ज्यादा है। यहां लोग क्रिकेट को देखने के लिए काफी पैसा खर्च करने में भी संकोच नहीं करते हैं। 1983 में कपिल देव के नेतृत्व में जब भारत ने विश्व कप जीता था, तब आज की तरह टीवी चैनल, मोबाइल और संचार के अन्य साधन नहीं होने के बावजूद लाखों लोग दूरदर्शन पर पूरा मैच देखे थे। इसी तरह 2011 में जब भारत वर्ल्ड कप जीता तो भारतीय खिलाड़ियों और लोगों का जो जोश था वह अद्भुत था। हर तरफ ऐसा एंजायमेंट वाला माहौल था कि मानों हमने सिर्फ क्रिकेट को नहीं जीता, पूरी दुनिया ही जीत ली है।

अभिनेता और क्रिकेट प्रेमी अपारशक्ति खुराना के साथ यूट्यूब प्रोग्राम क्रिकेट डायरी में वीरेंदर सहवाग, जहीर खान और आर. अश्विन ने उस क्षण को याद करते हुए कई बातें बताईं।

Memories Of World Cup 2011 Winning: 2011 एक ऐसा वर्ल्ड कप था जिसने जीत का एक स्टेज सेट कर दिया

आर. अश्विन ने कहा कि दुनिया में जितनी लक्जरी कारें होती हैं, वह सब मुंबई के मरीन ड्राइव में थीं। और वह नाचने का स्टेज बन गया था। जहीर खान ने कहा कि सारी कारें वहां पार्क थीं, वह पार्किंग लाट बन गया था। सारे लोग वहीं थे। अश्विन ने कहा कि यह ऐसा दृश्य था, इतनी बड़ी कम्युनिटी एक जगह पर थी, लोग एंजाय कर रहे थे। 1983 के बाद 2011 एक ऐसा वर्ल्ड कप था जिसने जीत का एक स्टेज सेट कर दिया था।

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वीरेंदर सहवाग ने कहा वह 2011 का जो मोमेंट था, हम लोग वर्ल्ड कप जीतकर जब बस में बैठकर बाहर निकले तो ऐसा लगा जैसे घोड़ी पर दूल्हा बैठा हो और आगे बाराती नाच रहे हैं। कई लोग बस में ही नाच रहे थे, हरभजन सिंह और युवराज सिंह तो खुलकर नाच रहे थे, थोड़ा बहुत हाथ सचिन तेंदुलकर ने भी मटका दिये थे। वानखेड़े स्टेडियम से ट्राइडेंट होटल पहुंचने में इतना समय कभी नहीं लगा, जितना उस दिन लगा था। वह वाकई में ऐसा बन गया था कि शायद हम लोग दूल्हे राजा थे और बाराती आगे नाच रहे थे।

जहीर खान ने कहा कि वर्ल्ड कप में प्रेशर तो रहता ही है। हर वर्ल्ड कप में प्रेशर रहता है। वर्ल्ड कप एक ऐसा टूर्नामेंट है, जो चार साल में एक बार आता है। उस समय हर तरफ से प्रेशर रहता है। चाहे रूम में हों और रूम सर्विस से कुछ मंगा लो तो वह भी आपको याद दिलाएगा कि वर्ल्ड कप है, न्यूज पेपर पढ़ोगे तो वह भी आपको याद दिलाएगा। इस प्रेशर से आप बच नहीं सकते हैं।

2003 के वर्ल्ड कप का फायदा 2011 में मिला। एक तरफ नेशनल एंथेम के बाद जब हम फिल्डिंग कर रहे थे और वह जो इमोशन होते हैं, वह जो देश का राष्ट्रगान सुनो तो चार्ज हो जाते हैं, उसमें मैं आउट ऑफ कैरेक्टर प्ले कर गया। वह हमारे लिये एक बढ़िया लेशन था 2011 के फाइनल वर्ल्ड कप की तैयारी के लिए। वहां पर अपने इमोशन को कंट्रोल करना होता है।

वेंकट नटराजन खेल पत्रकार हैं। क्रिकेट में इनकी ना केवल रुचि है, बल्कि यह क्रिकेट के अच्छे खिलाड़ी भी रह चुके हैं। क्रिकेट से जुड़े क़िस्से लिखने के अलावा वेंकट क्रिकेट Match Live Update, Cricket News in Hindi कवर करने में भी माहिर हैं।