Mansoor Ali Khan Pataudi: शीशा घुसने की वजह से आंख हुई खराब लेकिन एक आंख से इस खिलाड़ी ने खेले कई मैच, जानिए सैफ अली के पिता की दिलचस्प कहानी
Mansoor Ali Khan Pataudi: क्रिकेट जगत में ‘टाइगर’ के नाम से मशहूर मंसूर अली खान पटौदी क्रिकेट जगत के ऐसे चमकते सितारे थे जिन्होंने दुनिया को दिखा दिया था कि मुश्किल रास्तों पर चलकर भी अपनी एक अलग पहचान बनाई जा सकती है। Mansoor Pataudi ने 20 साल की उम्र में क्रिकेट की दुनिया में कदम रखा तो 21 साल की उम्र में कप्तानी कर सबसे युवा कप्तान होने का गौरव हासिल किया। मंसूर का ये रिकॉर्ड 52 सालों तक रहा था। आज भी Mansoor Pataudi को भारत के बेहतरीन टेस्ट कप्तानों में शुमार किया जाता है।
Mansoor Ali Khan Pataudi: मंसूर अली खान को मैदान पर दो गेंदें दिखती थीं
जहां क्रिकेट के खेल में नजरें पैनी होना जरुरी होता है वहां मंसूर अली खान (Mansoor Ali Khan) ने 14 सालों तक एक आंख से कम दिखने के बावजूद क्रिकेट खेला और पूरी दुनिया में अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाया । आपको जानकार हैरानी होगी कि Mansoor Pataudi को दो गेंदें दिखती थीं। दरअसल 11 साल की उम्र में मंसूर अली खान पटौदी इंग्लैंड पढ़ाई करने गए थे, पढ़ाई के साथ-साथ वो इंग्लैंड में घरेलू क्रिकेट भी खेलते थे।
इंग्लैंड में टाइगर Mansoor Pataudi के साथ एक हादसा हुआ था। यहां उनका एक बड़ा कार एक्सीडेंट हुआ जिसने उनकी पूरी जिंदगी बदल दी थी, इस एक्सीडेंट में कार का शीशा उनकी दाईं आंख में घुस गया था और आंख की रोशनी चली गई थी।
लेकिन इसके बाद भी उन्होंने हिम्मत और हौसला नहीं हारा, यहां तक की डॉक्टरों ने उन्हें क्रिकेट खेलने से मना कर दिया था लेकिन वो नहीं माने और यही उनकी सबसे बड़ी जीत रही। एक्सीडेंट के कुछ ही महीने बाद Mansoor Pataudi भारत आए और पांच महीने बाद अपने मजबूत इरादों के साथ भारत के लिए अपना टेस्ट डेब्यू किया।
यह मैच साल 1961 में इंग्लैंड के खिलाफ दिल्ली के फिरोजशाह कोटला मैदान पर खेला गया था। बल्लेबाजी करते समय Mansoor Pataudi को दो गेंदें दिखाई देती थीं, जिससे वे परेशान रहते थे, लेकिन इसका हल भी उन्होंने निकाल लिया।
मंसूर ने प्रैक्टिस शुरु की और काफी प्रैक्टिस करने के बाद फैसला किया था कि वो उस गेंद पर शॉट खेलेंगे जो अंदर की तरफ नजर आती है। नवाब पटौकी की ये ट्रिक काम कर गई। इतना ही नहीं कई बार तो वो बल्लेबाजी के दौरान अपनी टोपी से दाईं आंख को छुपा लेते थे जिससे उन्हें सिर्फ एक ही गेंद दिखाई दे और ऐसा करने से उन्हें उन्हें शॉट खेलने में आसानी होती थी।
मंसूर अली खान पटौदी ने भारत के लिए कुल 46 टेस्ट मैच खेले थे, जिनमें 34.91 की उस दौर के शानदार औसत से कुल 2783 रन बनाए। मंसूर अली खान ने अपने टेस्ट करियर में 6 शतक और 16 अर्धशतक जमाए थे। टेस्ट क्रिकेट में उनका बेस्ट स्कोर नाबाद 203 रन है। मंसूर अली खान पटौदी ने 300 से ज्यादा फर्स्ट क्लास मैच भी खेले हैं। फर्स्ट क्लास क्रिकेट में नवाब पटौदी ने 15 हजार से ज्यादा रन बनाए थे।
पटौदी को क्रिकेट विरासत में मिला था। गौरतलब हो मंसूर अली खान के पिता इफ्तिखार अली खान पटौदी भी मशहूर क्रिकेटर थे, जिन्होंने युद्ध से पहले इंग्लैंड के लिए तीन टेस्ट खेले थे। उनके 11 वें जन्मदिन पर उनके पिता की पोलो खेलते समय मृत्यु हो गई थी। मंसूर अली खान पटौदी अपनी रियासत के 9वें नवाब थे, शायद इसलिए उन्होंने क्रिकेट भी नवाबों की तरह ही खेला।