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Javeria khan : जावरिया खान संघर्ष के साथ आगे बढ़ीं तो पीछे नहीं देखा, जानिये जवेदिया खातून ने कैसे बनाया क्रिकेट में अपना मुकाम

Pakistani women cricketer |

पाकिस्तानी महिला क्रिकेटर जावरिया खान। (फोटो- फेसबुक)

Javeria khan : जावरिया खान एक महिला क्रिकेटर हैं जिन्होंने पाकिस्तान के लिए संघर्ष और समर्पण के साथ अपनी प्रतिभा को साबित किया है। उनका संघर्ष एक प्रेरणास्रोत है जो महिला क्रिकेट के क्षेत्र में नए मार्ग प्रशस्त करने का उदाहरण स्थापित करता है।

जावरिया खान का जन्म 14 मई, 1993 को पाकिस्तान के कराची शहर में हुआ था। कराची पाकिस्तान का सबसे बड़ा शहर है और वहां क्रिकेट का भी एक महत्वपूर्ण केंद्र है। जावरिया खान ने पाकिस्तानी महिला क्रिकेट टीम के लिए अपनी प्रतिभा को प्रदर्शित किया है और उन्हें देश और खुद को गर्व महसूस कराया है। उनकी मेहनत, समर्पण और संघर्ष ने उन्हें उच्च स्तर की महिला क्रिकेटर बनाया है।

वे बचपन से ही क्रिकेट में रुचि रखती थीं और अपने पूरे मन से खेलने में जुटी रहती थीं। जावरिया खान ने अपने क्रिकेट की क्षमता को संवारने के लिए कठिनाइयों का सामना किया, जैसे कि आधिकारिक समर्थन की कमी और सुविधाओं का अभाव आदि, हालांकि वह तमाम दिक्कतों के बावजूद आगे बढ़ती रहीं।

हालांकि, वे इन सभी चुनौतियों को पार करके अपनी प्रतिभा और संघर्ष के माध्यम से देश को गर्व महसूस कराने में सफल रहीं। उन्होंने पाकिस्तानी महिला क्रिकेट टीम के लिए विशेष प्रदर्शन करते हुए अपना योगदान दिया और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर उनकी महत्वपूर्ण भूमिका रही। जावरिया खान की संघर्षपूर्ण कहानी और उनका अद्भुत समर्पण अन्य महिला क्रिकेटरों के लिए प्रेरणास्रोत हैं। वे महिला खिलाड़ियों के लिए एक मार्गदर्शक हैं और आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करती हैं।

पाकिस्तान क्रिकेट टीम की सबसे सफल खिलाड़ियों में एक रहीं सना मीर (Sana Mir) ने अपनी जिंदगी का एक किस्सा सार्वजनिक किया।

उन्होंने बताया कि वह बचपन में जब पहली बार बैट पकड़ीं, तब वह केवल तीन-चार साल की रही होंगी। उनके अब्बू सरकारी नौकरी में थे और गिलगिट में पोस्टेड थे। उस समय वह अपनी मोहल्ले के अपनी उम्र के बच्चों के साथ खेलती थीं। बाद में उनके अब्बू का कई जगह तबादला हुआ।

सना ने एक और बात बताई। उन्होंने बताया कि उनके भाई उनसे नौ साल बड़े हैं। वे जब आठ-नौ साल की थीं, तब अपने भाई और उनके दोस्तों को क्रिकेट खेलते हुए देखती थीं तो वे भी उनके पास मैदान में पहुंच जाती थीं। तब भाई लोग उनसे अधिकतर फिल्डिंग कराते थे, बाद में उन्हें लगता था कि एक दो बाल इसे भी फेंककर बैटिंग करने का चांस दे दें। तब वे उसे बैटिंग करने के लिए दे देते थे। इससे सना के मन में क्रिकेट खेलने का मन बढ़ने लगा और वह बाद में जुनूनी हो गईं।

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