विश्व कप मैच को जीतने के लिए जिस तरह की टीम होनी चाहिए और जिस तरह की तैयारी की जरूरत होती है, वह एक अलग तरह के मैनेजमेंट से बनती है। 1983 के विश्व कप विजेता भारतीय टीम के कप्तान रहे कपिल देव से जब एक न्यूज चैनल के मंच पर इसके बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा की विश्व कप मैच कहने से नहीं जीत जाएंगे, अंतिम के 4-5 हफ्ते बहुत महत्वपूर्ण होते है।
एक या दो प्लेयर्स पर निर्भर होने पर जीत के चांसेज कम होते हैं
उन्होंने कहा कि आपकी सही टीम है, खिलाड़ियों में इंजुरीज नहीं है, कंबीनेशन सही है, इन तमाम चीजों पर डिस्कशन करना होगा। यह भी कहा कि आप जब एक प्लेयर या दो प्लेयर के ऊपर निर्भर हो जाते हैं और कहते हैं कि हम वर्ल्ड कप जीत सकते हैं तो आपके चांसेज कम हो जाते हैं।
क्षमता है तो एकजुटता भी दिखनी चाहिए
अगर एबीलिटी है तो एकजुटता दिखनी चाहिए। अगर सही ढंग से प्लान करेंगे और एक रहेंगे और एक खिलाड़ी के भरोसे नहीं रहते हैं तो जीतने की संभावना ज्यादा रहती है।
कपिल देव का कहना है कि आज के जमाने के खिलाड़ियों के पास कुछ बताने के लिए हमें नहीं जाना चाहिए। या तब तक हमें नहीं जाना चाहिए, जब तक उनको हमारी जरूरत न हो। सही यह है कि जब ये बड़े प्लेयर हो जाते हैं, हिंदुस्तान के लिए खेलते हैं तो इनकी खुद की रिस्पांसिबिलिटी हो जाती है।
उन्होंने कहा कि कोई भी पूर्व खिलाड़ी ऐसा नहीं होगा, जो हेल्प नहीं करे। सब क्रिकेटर यही चाहते हैं कि हम हेल्प करना चाहते हैं, लेकिन उनका पूछना फर्ज है। जब तक वह नहीं बुलाएंगे या नहीं पूछेंगे हम अपने से कभी नहीं जाएंगे। कम से कम मैं तो नहीं जाऊंगा।
मीडिया को वन मैन आर्मी की सोच नहीं रखनी चाहिए। आप टीम बनाएं, जब टीम बनती है तो सिर्फ यह नहीं होनी चाहिए कि एक कप्तान के ऊपर ही सब कुछ है। कप्तान बहुत महत्वपूर्ण प्लेयर है, लेकिन वह सब कुछ नहीं है।
कपिल ने कहा कि आज के प्लेयर्स में जीत के प्रति पॉजिटिविटी है, हमारे समय के प्लेयर्स सबड्यूड (Subdued) होते थे। दोनों का जमाना अलग है और अलग तरह की सोच है।