पाकिस्तान के पूर्व क्रिकेटर जावेद मियांदाद जब क्रिकेट खेलते थे तो बड़े ही आक्रामक रवैया अपनाते थे, लेकिन 1986 में शारजाह में भारत और पाकिस्तान के बीच मैच के दौरान उन्होंने बहुत ही अनुभवी और स्किल्ड तरीका अपनाया। इस मैच में आखिरी बाल पर छक्का मारकर हारा हुआ मैच पाकिस्तान को जिता दिया। इस बारे में नादिर अली पॉडकॉस्ट में वह बताते हैं कि मैं हारा हुआ मैच खेल रहा था। मेरे पांच विकेट तो पहले ही गिर गये थे। रन्स तो लाजिम बात है अच्छे बने थे। अब करें तो क्या करें। मन में था जावेद बस खड़ा रह, खड़ा रह। चलते जाओ चलते जाओ कि इज्जत से हार जाएं।
उन्होंने कहा कि मेरे जेहन में था कि 40-50 रन से हार जाओ मेरे तो पांच विकेट पहले ही गिर गये हैं। तब कम से कम यह था कि पूरे ओवर खेल लो ताकि नियर या डिफीट इतनी नहीं होती, 20 रन से हार गये, 30 रन से हार गये। उसमें आप गलतियां पकड़ते तो कहते ये ये गलतियां नहीं करते तो मैच जीत सकते थे। जाहिर है शारजाह जैसी जगह पर जहां एक तरफ इंडियंस और दूसरी तरफ पाकिस्तानी शोर हो रहे हैं, मेरे लिए यही था कि कीप गोइंग, बस आराम से खड़े रहो।
उन्होंने कहा कि बस एक बाल पर चांस लेता था और उसको मेंटेन भी रखता था। हालांकि ओवर एक ओवर में छह बाल चला गया, आठ चला गया फिर छह पर आ गया। मुझे खुद पर कंट्रोल था, मुझे लगा कि जब वक्त मारने को आएगा तो उस वक्त मारना, तब कम से कम हार भी जाते हैं तो लगेगा कि हम फाइट करके हारे हैं। वी लास्ट बाय लेस मार्जिन से।
जब आखिरी बाल पर छह रन लेना था, तब मैं सिचुएशन देखता था कि बालर क्या करेगा। मुझे पता था कि ऐसे टाइम पर यार्कर करेगा। मैं एक-दो फुट आगे आ गया था। मेरा प्लान था कि अगर बाल मेरे टो पर गिरेगी तो मैं लीन कर लूंगा और उठा लूंगा। बालर ने जब बाल किया तो वह फुल टास थी और मैं लीन था तो मुझे अंदाजा हो गया था। मैंने छक्का मार दिया। उसके बाद आप सोच नहीं सकते कि मोमेंट क्या था। क्रिकेट में कुछ भी हो सकता है।